बड़ा एक्शन: चुनाव आयोग ने 334 पार्टियों का रद्द किया पंजीकरण, अब बची सिर्फ 67 क्षेत्रीय पार्टियां

राजनीतिक पार्टियों की संख्या घटाने के लिए आयोग का बड़ा कदम, 'गैर-गंभीर' पार्टियों पर गिरी गाज।

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  • चुनाव आयोग ने 334 राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण रद्द कर दिया है, क्योंकि वे छह साल तक लगातार चुनाव में शामिल नहीं हुईं।
  • इन पार्टियों ने चुनाव आयोग को अपने नाम, पते या पदाधिकारियों में बदलाव की जानकारी भी नहीं दी थी।
  • इस कार्रवाई के बाद देश में क्षेत्रीय पार्टियों की संख्या घटकर 67 रह गई है, जबकि राष्ट्रीय पार्टियों की संख्या अब 6 हो गई है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12 अगस्त, 2025 – भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 334 राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई उन पार्टियों पर की गई है, जो चुनावी प्रक्रिया के नियमों का पालन नहीं कर रही थीं। चुनाव आयोग के इस कदम को भारतीय राजनीति को ‘गैर-गंभीर’ और ‘डमी’ पार्टियों से मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है। इस कार्रवाई के बाद देश में क्षेत्रीय पार्टियों की संख्या 131 से घटकर मात्र 67 रह गई है, जबकि राष्ट्रीय पार्टियों की संख्या भी घटकर 6 हो गई है।

पंजीकरण रद्द करने का कारण क्या है?

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के पंजीकरण को लेकर कुछ सख्त नियम बनाए हैं। इन नियमों के अनुसार, अगर कोई पंजीकृत राजनीतिक पार्टी लगातार छह साल तक किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लेती है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। इसके अलावा, आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक, हर पार्टी को अपने नाम, पते या पदाधिकारियों में किसी भी बदलाव की जानकारी बिना देरी के चुनाव आयोग को देनी होती है। आयोग द्वारा की गई जांच में पाया गया कि 345 पार्टियों में से 334 ने इन शर्तों का पालन नहीं किया। ये पार्टियां न तो चुनाव लड़ रही थीं और न ही आयोग को कोई अपडेट दे रही थीं, जिसके बाद उनका पंजीकरण रद्द करने का फैसला लिया गया।

क्यों जरूरी था यह कदम?

भारतीय राजनीति में लंबे समय से ‘घोस्ट पार्टियों’ की समस्या बनी हुई है। ये ऐसी पार्टियां होती हैं जो केवल कागजों पर मौजूद होती हैं और चुनाव लड़ने में इनकी कोई दिलचस्पी नहीं होती। अक्सर इनका इस्तेमाल काले धन को सफेद करने या अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किया जाता है। चुनाव आयोग का यह कदम इस तरह की पार्टियों को खत्म करने के लिए उठाया गया है, ताकि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और गंभीरता बनी रहे। इस कार्रवाई से न सिर्फ चुनावी व्यवस्था साफ होगी, बल्कि उन गंभीर राजनीतिक दलों के लिए भी रास्ता साफ होगा जो वाकई देश की राजनीति में योगदान देना चाहते हैं।

देश में अब कितनी पार्टियां हैं?

चुनाव आयोग की इस कार्रवाई के बाद देश में अब कुल 6 राष्ट्रीय पार्टियां और 67 क्षेत्रीय पार्टियां ही मान्यता प्राप्त हैं। इस कार्रवाई से पहले क्षेत्रीय पार्टियों की संख्या 131 थी, जो अब आधी से भी कम हो गई है। यह कदम चुनाव आयोग के चुनावी सुधारों के एजेंडे का हिस्सा है, जिसके तहत आयोग लगातार राजनीतिक व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास कर रहा है। भविष्य में भी आयोग ऐसी ‘गैर-गंभीर’ पार्टियों पर कार्रवाई जारी रख सकता है।

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