भारत की एथेनॉल क्रांति

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12 अगस्त –पायनियर बायोफ्यूल्स 360° समिट के “फायरसाइड चैट” सत्र में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एथेनॉल ब्लेंडिंग केवल ईंधन मिश्रण का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह अन्नदाताओं को “ऊर्जादाता” बनाने का अभियान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पहल किसानों की आय बढ़ाने, ऊर्जा आत्मनिर्भरता हासिल करने और पर्यावरण की रक्षा करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

E20 पर कोई तकनीकी समस्या नहीं

“विश्व बायोफ्यूल दिवस” के अवसर पर मंत्री ने बताया कि पिछले 10 महीनों में E20 को बेस फ्यूल बनाने के बाद से एक भी इंजन फेल या खराब होने का मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने ब्राज़ील का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां E27 वर्षों से बिना किसी समस्या के उपयोग हो रहा है, जो यह दर्शाता है कि उच्च स्तर की एथेनॉल ब्लेंडिंग पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है।

भ्रम फैलाने वाली लॉबी नाकाम होगी

पुरी ने आरोप लगाया कि कुछ स्वार्थी लॉबी और हित समूह एथेनॉल के खिलाफ भ्रम फैलाकर भारत की ऊर्जा क्रांति को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने विश्वास जताया कि मजबूत नीतिगत समर्थन, उद्योग की तैयारी और जनता की स्वीकार्यता के चलते E20 का सफर अब वापसी के बिना जारी रहेगा।

E20 के बहुआयामी फायदे

E20 ब्लेंडिंग से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है, वायु गुणवत्ता में सुधार होता है और इंजन का प्रदर्शन बेहतर होता है। इसके साथ ही अब तक ₹1.4 लाख करोड़ से अधिक की विदेशी मुद्रा बचाई जा चुकी है। पानीपत और नुमालीगढ़ की 2G एथेनॉल रिफाइनरियां पराली और बांस जैसे कृषि अवशेषों को एथेनॉल में बदल रही हैं, जिससे प्रदूषण नियंत्रण, स्वच्छ ईंधन उत्पादन और किसानों की आय में एक साथ लाभ हो रहा है। खास बात यह है कि मक्का आधारित एथेनॉल उत्पादन 2021-22 में 0% से बढ़कर इस वर्ष 42% तक पहुंच गया है।

2014 के बाद मिली गति

पुरी ने कहा कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पदभार संभाला, तब एथेनॉल ब्लेंडिंग मात्र 1.53% थी। 2022 तक भारत ने 10% लक्ष्य पांच महीने पहले ही हासिल कर लिया। 20% (E20) का लक्ष्य जो मूल रूप से 2030 का था, उसे 2025 तक लाया गया और वर्तमान आपूर्ति वर्ष में ही पूरा कर लिया गया।

नीतिगत सुधारों की अहम भूमिका

इस सफलता के पीछे कई महत्वपूर्ण सुधार हैं—जैसे गारंटीड मूल्य निर्धारण, मल्टी-फीडस्टॉक की अनुमति और देशभर में डिस्टिलेशन क्षमता का तेज विस्तार। इन सुधारों ने एथेनॉल उद्योग को तेजी से बढ़ने का अवसर दिया और किसानों के लिए एक स्थायी बाजार सुनिश्चित किया।

फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों की तैयारी

भारतीय ऑटो उद्योग ने E85-कंपैटिबल प्रोटोटाइप तैयार कर लिए हैं। मंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में चरणबद्ध तरीके से E25, E27 और E30 की ओर बढ़ा जाएगा। यह बदलाव उपभोक्ताओं और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी होगा।

किसानों और अर्थव्यवस्था को लाभ

पिछले 11 वर्षों में एथेनॉल खरीद से किसानों को ₹1.21 लाख करोड़ की अतिरिक्त आय मिली है। इसके साथ ही 238.68 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल के आयात में कमी आई और ₹1.40 लाख करोड़ की विदेशी मुद्रा बचत हुई। यह किसानों और देश दोनों के लिए एक बड़ी आर्थिक उपलब्धि है।

सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) में प्रगति

पुरी ने सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल के विकास पर भी जोर दिया। 2027 तक अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में 1% SAF ब्लेंडिंग और 2028 तक 2% लक्ष्य रखा गया है। पानीपत रिफाइनरी में इस्तेमाल किए गए कुकिंग ऑयल से SAF बनाने का नवाचार भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है।

CNG और बायोगैस में बढ़त

भारत में वर्तमान में 113 संपीड़ित बायोगैस संयंत्र संचालित हो रहे हैं और 73 का निर्माण चल रहा है। इसके अलावा कई नए वाहन CNG-कंपैटिबल हैं, जो स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों को बढ़ावा देते हैं।

LPG कनेक्शन और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य

देश में 33.5 करोड़ LPG कनेक्शन हैं, जिनमें से 10.5 करोड़ उज्ज्वला योजना के तहत दिए गए हैं। हालांकि, अभी भी 60% LPG आयात पर निर्भरता है, लेकिन घरेलू उत्पादन में 18% वार्षिक वृद्धि हो रही है।

भारत की ऊर्जा स्थिति और आयात रणनीति

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, जिसकी प्रतिदिन 5.4 मिलियन बैरल तेल की मांग है। देश 80% तेल और 50% प्राकृतिक गैस आयात करता है। मांग पूरी करने के लिए अब भारत 40 देशों से तेल और गैस आयात कर रहा है, जिससे ऊर्जा आपूर्ति का विविधीकरण हो रहा है।

पुरी का अंतिम संदेश

अंत में मंत्री का संदेश स्पष्ट था—एथेनॉल भारत के ऊर्जा भविष्य का स्थायी हिस्सा है। भारत केवल वैश्विक मानकों को पकड़ नहीं रहा, बल्कि नए मानक स्थापित कर रहा है और आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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