ICICI बैंक का बड़ा झटका! मेट्रो शहरों में न्यूनतम बैलेंस ₹50,000 हुआ
ICICI बैंक ने ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों के लिए भी न्यूनतम बैलेंस बढ़ाया; नियम न मानने पर लगेगा जुर्माना।
- ICICI बैंक ने अपने बचत खातों के लिए न्यूनतम औसत बैलेंस (MAB) में भारी वृद्धि की है।
- मेट्रो और शहरी इलाकों में अब ग्राहकों को ₹10,000 की जगह ₹50,000 का न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना होगा।
- यह नया नियम 1 अगस्त 2025 से खुलने वाले नए खातों पर लागू होगा, जिससे बैंक का लक्ष्य प्रीमियम ग्राहकों पर केंद्रित है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 अगस्त – निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंकों में से एक आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) ने अपने ग्राहकों को एक बड़ा झटका दिया है। बैंक ने सेविंग अकाउंट्स में रखे जाने वाले न्यूनतम औसत बैलेंस (MAB) में 5 गुना तक का इजाफा किया है। इस नए नियम के तहत, अब मेट्रो और शहरी इलाकों में ग्राहकों को अपने बचत खाते में कम से कम ₹50,000 बनाए रखना होगा, जो पहले ₹10,000 था। यह नियम 1 अगस्त 2025 से प्रभावी हो गया है और नए खुलने वाले सभी खातों पर लागू होगा। यह फैसला दर्शाता है कि बैंक अब उच्च-नेट-वर्थ वाले ग्राहकों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है।
पुराना नियम क्या था और क्यों हुआ बदलाव?
अभी तक, ICICI बैंक के मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के ग्राहकों के लिए न्यूनतम औसत बैलेंस ₹10,000 था। वहीं, अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में यह ₹5,000 और ग्रामीण क्षेत्रों में ₹2,500 था। नए नियमों के अनुसार, अब यह सीमा मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में ₹50,000, अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में ₹25,000 और ग्रामीण क्षेत्रों में ₹10,000 हो गई है। बैंक ने इस बदलाव के पीछे का कारण आधिकारिक तौर पर नहीं बताया है, लेकिन वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक प्रीमियम ग्राहकों को आकर्षित करना चाहता है, जिनसे उसे इंश्योरेंस और ब्रोकरेज जैसे अन्य वित्तीय उत्पादों को बेचकर अधिक राजस्व कमाने में मदद मिलती है।
नए नियमों का ग्राहकों पर क्या होगा असर?
यह नया नियम 1 अगस्त, 2025 या उसके बाद खाता खोलने वाले ग्राहकों पर लागू होगा। इसका मतलब है कि पुराने ग्राहकों को अपने मौजूदा न्यूनतम बैलेंस को बनाए रखने की आवश्यकता होगी, लेकिन नए ग्राहकों के लिए यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है। अगर कोई ग्राहक अपने खाते में निर्धारित न्यूनतम बैलेंस नहीं रखता है, तो उसे बैंक की संशोधित शुल्क अनुसूची के अनुसार जुर्माना भरना होगा। भारत टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह जुर्माना 6% तक या ₹500 तक (जो भी कम हो) हो सकता है। यह फैसला उन ग्राहकों के लिए निराशाजनक है जो कम आय वाले हैं और मेट्रो शहरों में रहते हैं।
अन्य बैंकों की तुलना और भविष्य की राह
इस फैसले के साथ, ICICI बैंक भारत में सबसे अधिक न्यूनतम औसत बैलेंस की मांग करने वाले घरेलू बैंकों में से एक बन गया है। दिलचस्प बात यह है कि देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 2020 में ही न्यूनतम बैलेंस का नियम पूरी तरह से खत्म कर दिया था। इस तरह के नियम अक्सर निजी बैंकों द्वारा लगाए जाते हैं, जो ग्राहकों के बड़े आधार के बजाय उच्च आय वाले ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी, अमीरों और गरीबों के बीच का फर्क भी बढ़ेगा, और बैंक इसी ट्रेंड का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।