चुनाव आयोग और LJP (रामविलास) की बैठक, चिराग पासवान ने चुनाव चिन्ह पर की चर्चा
चुनाव चिन्ह पर छिड़ी जंग: चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को सौंपा ज्ञापन, पार्टी को मिलेगी 'बंगला' छाप?
- चुनाव आयोग (ECI) ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की है।
- यह बैठक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में हुई, जिसमें पार्टी के संगठनात्मक ढांचे और चुनाव चिन्ह के मुद्दे पर चर्चा हुई।
- बैठक का मुख्य उद्देश्य पार्टी को पूर्ण मान्यता दिलाना और भविष्य के चुनावों के लिए अपनी स्थिति को मजबूत करना था।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 अगस्त, 2025 – बिहार की राजनीति में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में चल रहा घमासान अभी थमा नहीं है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में चुनाव आयोग (ECI) के अधिकारियों से मुलाकात की। इस बैठक में मुख्य रूप से पार्टी के संगठनात्मक ढांचे, सदस्यता और चुनाव चिन्ह से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को अपनी पार्टी की ताकत और उसके आधार को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उन्होंने पार्टी के पूर्ण पुनर्गठन और नई सदस्यता के बारे में जानकारी दी है।
क्या थी बैठक का मुख्य उद्देश्य?
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य चुनाव आयोग के सामने यह साबित करना था कि असली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) चिराग पासवान के नेतृत्व में है। चूंकि पार्टी के विभाजन के बाद चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को अलग-अलग नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित किए थे, इसलिए चिराग पासवान चाहते हैं कि उन्हें ‘बंगला’ छाप का चुनाव चिन्ह मिले, जो उनकी पार्टी का मूल चुनाव चिन्ह था। उन्होंने अपने ज्ञापन में कहा कि उनके नेतृत्व में पार्टी को बिहार की जनता का भारी समर्थन प्राप्त है, खासकर युवा वर्ग का। उन्होंने पार्टी की सदस्यता और नए पदाधिकारी नियुक्तियों का भी प्रमाण दिया।
LJP में जारी विवाद की पृष्ठभूमि
LJP में यह विवाद तब शुरू हुआ जब चिराग पासवान के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने पार्टी के कई सांसदों के साथ मिलकर अपना अलग गुट बना लिया था। इसके बाद, चुनाव आयोग ने पार्टी को दो हिस्सों में बांट दिया। पशुपति कुमार पारस के गुट को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (Rashtriya Lok Janshakti Party) का नाम मिला, जबकि चिराग पासवान को LJP (रामविलास) का नाम और ‘हेलिकॉप्टर’ चुनाव चिन्ह मिला। लेकिन चिराग पासवान लगातार यह दावा करते रहे हैं कि उनकी पार्टी ही असली LJP है और उन्हें अपने पिता, दिवंगत रामविलास पासवान, की विरासत को आगे बढ़ाने का अधिकार है।
चुनाव चिन्ह पर छिड़ी जंग
चुनाव चिन्ह का मुद्दा बिहार की राजनीति में एक संवेदनशील विषय है। ‘बंगला’ छाप का चुनाव चिन्ह दिवंगत रामविलास पासवान की पहचान बन गया था और यह पार्टी के वोटरों के लिए एक भावनात्मक प्रतीक है। चिराग पासवान जानते हैं कि यह चुनाव चिन्ह उनकी पार्टी के लिए कितना महत्वपूर्ण है। इसी कारण, वे इसे वापस पाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। उनकी चुनाव आयोग से मुलाकात इसी प्रयास का हिस्सा है। आने वाले चुनावों में चुनाव चिन्ह का आवंटन दोनों गुटों के भविष्य को तय करने में एक महत्वपूर्ण कारक होगा।