पाकिस्तान सेना प्रमुख असीम मुनीर फिर जा रहे अमेरिका, 2 महीने में दूसरी यात्रा

क्या है इस यात्रा का मकसद? जानें पाकिस्तान के सेना प्रमुख क्यों कर रहे हैं अमेरिका के बार-बार दौरे।

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  • पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, 2 महीने से भी कम समय में दूसरी बार अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं।
  • यह यात्रा अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य और रणनीतिक संबंधों का संकेत है, खासकर जब डोनाल्ड ट्रंप का भारत के प्रति रवैया सख्त हुआ है।
  • इस दौरे का मुख्य उद्देश्य CENTCOM प्रमुख के विदाई समारोह में शामिल होना है, लेकिन इसके पीछे सैन्य सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी महत्वपूर्ण बातचीत की उम्मीद है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 अगस्त, 2025 – एक ऐसे समय में जब अमेरिका और भारत के संबंधों में कुछ तनाव देखा जा रहा है, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकी चर्चा का विषय बन गई है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर 2 महीने से भी कम समय में दूसरी बार अमेरिका का दौरा करने जा रहे हैं। उनका यह दौरा कई मायनों में खास है, क्योंकि यह न केवल दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने का संकेत है, बल्कि यह पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत भी हो सकती है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब अमेरिका ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, वहीं पाकिस्तान पर लगने वाले टैरिफ को कम करके 19% कर दिया है।

क्यों है असीम मुनीर का यह दौरा खास?

जनरल असीम मुनीर का यह दौरा अमेरिका के सेंट्रल कमांड (CENTCOM) प्रमुख जनरल माइकल ई. कुरिल्ला के विदाई समारोह में शामिल होने के लिए है। यह समारोह फ्लोरिडा के टैम्पा में CENTCOM मुख्यालय में आयोजित होगा। हालांकि, यह सिर्फ एक औपचारिक समारोह नहीं है। इस दौरे का असली मकसद पाकिस्तान और अमेरिका के बीच चल रहे सैन्य और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करना है। जनरल मुनीर इससे पहले जून में भी अमेरिका का दौरा कर चुके हैं, जहां उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी। उस मुलाकात में, ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में मुनीर की भूमिका की सराहना की थी, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद जगी थी।

क्या होगी इस दौरे में चर्चा?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरे में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:

आतंकवाद विरोधी सहयोग: पाकिस्तान और अमेरिका दोनों ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भागीदार रहे हैं। इस दौरे में, दोनों देशों के बीच आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने पर चर्चा हो सकती है।

सैन्य हार्डवेयर और सहायता: पाकिस्तान अपनी सेना के लिए अमेरिकी सैन्य हार्डवेयर और सहायता पर निर्भर रहा है। इस यात्रा के दौरान पाकिस्तान के पुराने F-16 विमानों के रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति जैसे मुद्दों पर बातचीत हो सकती है।

क्षेत्रीय सुरक्षा: इस दौरे में अफगानिस्तान, ईरान और भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर भी चर्चा हो सकती है। अमेरिका इन मुद्दों पर पाकिस्तान की भूमिका को समझना और उसे अपने पक्ष में बनाए रखना चाहेगा।

ट्रंप के ‘पाकिस्तान प्रेम’ का असर

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में पाकिस्तान के प्रति अपना रवैया बदल दिया है। उन्होंने एक तरफ भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाकर उसे निशाना बनाया है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान को टैरिफ में छूट दी है। ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ मिलकर उसके तेल भंडार विकसित करने का समझौता करने का भी ऐलान किया है। इस तरह के फैसलों से यह साफ है कि ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में देख रहा है, जिसका फायदा पाकिस्तान की सेना प्रमुख उठाना चाह रहे हैं। यह भारत के लिए एक कूटनीतिक चुनौती है, क्योंकि यह भारत-अमेरिका के संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है।

 

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