आरबीआई के फैसले और टैरिफ की धमकियों से शेयर बाजार में बड़ी गिरावट
सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट, निवेशकों में चिंता का माहौल, जानें किन कारणों से फिसला बाजार।
- भारतीय शेयर बाजार में बुधवार को भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांक फिसल गए।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला बाजार की उम्मीदों के विपरीत था, जिससे निवेशकों में निराशा हुई।
- अमेरिका की तरफ से टैरिफ लगाए जाने की धमकियों और वैश्विक व्यापार तनाव ने भी बाजार की नकारात्मक भावनाओं को और बढ़ा दिया।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 अगस्त, 2025 – बुधवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों के लिए निराशाजनक रहा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजे और वैश्विक व्यापार को लेकर जारी तनाव के कारण सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांकों में भारी गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट ने निवेशकों की अरबों रुपये की संपत्ति को पल भर में साफ कर दिया। बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट सिर्फ घरेलू कारणों से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कारकों का भी परिणाम है, जिसने निवेशकों के भरोसे को डगमगा दिया है।
आरबीआई का फैसला और बाजार की प्रतिक्रिया
बाजार को उम्मीद थी कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बार रेपो दर में कटौती कर सकता है ताकि आर्थिक विकास को गति मिल सके। हालांकि, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने अपनी बैठक में रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। आरबीआई ने मुद्रास्फीति (महंगाई) को नियंत्रित करने को अपनी प्राथमिकता बताते हुए दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इस फैसले ने बाजार को निराश किया, क्योंकि दरों में कटौती से कंपनियों के लिए कर्ज सस्ता होता है और विकास की गति तेज होती है। इस फैसले के बाद, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई, क्योंकि ये दर संवेदी क्षेत्र होते हैं।
वैश्विक टैरिफ की धमकियां और निवेशकों का डर
बाजार में गिरावट का दूसरा बड़ा कारण अमेरिका की तरफ से टैरिफ लगाए जाने की धमकियां और वैश्विक व्यापार को लेकर जारी तनाव है। अमेरिका ने भारत जैसे देशों पर कुछ व्यापारिक समझौतों और रूस से तेल खरीद जैसे मुद्दों पर टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। इस तरह के वैश्विक तनाव से विदेशी निवेशकों का भरोसा कम होता है, जिससे वे अपने निवेश को वापस खींचने लगते हैं। इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका और कमजोर होते आर्थिक संकेतकों ने भी निवेशकों में डर का माहौल पैदा किया है। आईटी और मेटल जैसे निर्यात-निर्भर क्षेत्र इन वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं और उनमें भी भारी बिकवाली देखने को मिली।
प्रमुख सूचकांकों और क्षेत्रों पर असर
आरबीआई के फैसले और वैश्विक तनाव के कारण बुधवार को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में भारी गिरावट आई। सेंसेक्स कई सौ अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि निफ्टी भी अपने महत्वपूर्ण स्तरों से नीचे चला गया। बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के अलावा, ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट और धातु क्षेत्र के शेयरों को भी नुकसान हुआ। निवेशकों ने मुनाफावसूली भी की, जिससे गिरावट और बढ़ गई। इस गिरावट ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि भारतीय बाजार अब सिर्फ घरेलू खबरों पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक घटनाओं पर भी तेजी से प्रतिक्रिया देते हैं।
विशेषज्ञों की राय और आगे का रास्ता
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अल्पकालिक रूप से बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी। उनका कहना है कि आरबीआई का फैसला एक महत्वपूर्ण कारण था, लेकिन असली चिंता वैश्विक आर्थिक और व्यापारिक माहौल को लेकर है। विशेषज्ञों ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे घबराहट में कोई फैसला न लें और बाजार में निवेश करते समय सतर्क रहें। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए ऐसे उतार-चढ़ाव में भी अच्छे स्टॉक्स में निवेश करने के अवसर हो सकते हैं, लेकिन शॉर्ट टर्म में जोखिम बढ़ा हुआ है।