सोने और चांदी की कीमतों में रिकॉर्ड उतार-चढ़ाव, जानें क्या हैं कारण?

टैरिफ की अनिश्चितता और कमजोर अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों के कारण बाजार में अस्थिरता, निवेशकों के लिए बढ़ा जोखिम।

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  • सोने और चांदी की कीमतों में हाल के दिनों में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, जो वैश्विक और घरेलू कारकों का परिणाम है।
  • अमेरिका द्वारा संभावित नए टैरिफ और कमजोर होते रुपये ने सोने को एक सुरक्षित निवेश के रूप में मजबूत किया है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और कमजोर अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों से सोने की चमक आने वाले समय में भी बनी रहेगी।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 अगस्त, 2025 – पिछले कुछ हफ्तों से सोने और चांदी के बाजार में निवेशकों और आम खरीदारों दोनों के लिए अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। कभी रिकॉर्ड तेजी तो कभी मामूली गिरावट, इन बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है। यह अस्थिरता सिर्फ घरेलू कारणों से नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार नीतियों और आर्थिक स्थितियों के कारण भी है। हाल ही में अमेरिकी प्रशासन द्वारा संभावित नए टैरिफ की धमकियों और कमजोर होते अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों ने इस अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है, जिससे निवेशक एक बार फिर सोने और चांदी जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।

टैरिफ की अनिश्चितता और बाजार पर असर

सोने और चांदी की कीमतों में मौजूदा उतार-चढ़ाव का एक बड़ा कारण वैश्विक व्यापार में टैरिफ को लेकर बनी अनिश्चितता है। हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत जैसे देशों पर भारी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। इस तरह के भू-राजनीतिक और आर्थिक तनाव से वैश्विक बाजार में अस्थिरता बढ़ जाती है, जिससे निवेशक शेयर बाजार जैसे जोखिम भरे निवेशों से पैसा निकालकर सोने की ओर आकर्षित होते हैं। इस बढ़ी हुई मांग के कारण सोने की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। टैरिफ की धमकियों से भारतीय रुपया भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है, जिससे आयातित सोने की कीमतें और बढ़ रही हैं।

सोने की कीमत ₹1 लाख के पार, चांदी भी चमकी

आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में 24 कैरेट सोने की कीमत कई शहरों में ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को पार कर गई है, जबकि चांदी ने भी ₹1.1 लाख प्रति किलोग्राम का स्तर छू लिया है। हालांकि, बाजार में मुनाफावसूली और अन्य कारकों के कारण कीमतों में मामूली गिरावट भी देखने को मिल रही है, लेकिन कुल मिलाकर रुझान तेजी का ही है। भारत में सोने और चांदी की कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार के अलावा आयात शुल्क, जीएसटी और रुपये-डॉलर की विनिमय दर का भी सीधा असर पड़ता है। त्योहारों और शादियों के मौसम में घरेलू मांग बढ़ने से भी कीमतों में उछाल आता है।

निवेशकों के लिए चुनौती और सुरक्षित निवेश

बाजार में जारी इस अस्थिरता ने निवेशकों के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है। एक तरफ कमजोर आर्थिक माहौल के कारण सोना एक सुरक्षित निवेश के रूप में अपनी अपील बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी तरफ लगातार बदलती कीमतें निवेशकों को भ्रमित भी कर रही हैं। ऐसे में, विशेषज्ञों की सलाह है कि निवेशक बाजार के रुझानों पर बारीकी से नजर रखें और किसी भी बड़े निवेश से पहले विशेषज्ञों की राय जरूर लें। सोने में निवेश करना हमेशा से महंगाई के खिलाफ एक बेहतर विकल्प माना जाता रहा है, और मौजूदा हालात में इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है।

विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाएं

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में भी सोने और चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। उनका कहना है कि जब तक वैश्विक व्यापार को लेकर तस्वीर साफ नहीं होती और अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों में सुधार नहीं होता, तब तक निवेशक सुरक्षित निवेश की तलाश में रहेंगे। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक की आगामी नीतिगत बैठक और रुपये की चाल भी इन धातुओं की कीमतों को प्रभावित कर सकती है। कुल मिलाकर, सोने और चांदी की चमक बनी रहेगी, लेकिन निवेशकों को सतर्कता के साथ ही कदम उठाना होगा।

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