रेप्को बैंक ने अमित शाह को सौंपा रिकॉर्ड डिविडेंड, सहकारिता क्षेत्र में नया कीर्तिमान
सहकारिता मंत्रालय के अधीन आने वाले रेप्को बैंक ने दर्ज किया रिकॉर्ड मुनाफा, बैंक की टीम को मिली बधाई।
- रेप्को बैंक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 22.90 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड डिविडेंड चेक केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह को सौंपा।
- यह डिविडेंड बैंक द्वारा अर्जित 140 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ का हिस्सा है, जो सहकारी बैंक के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है।
- यह उपलब्धि सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों और बैंक की बेहतर वित्तीय स्थिति को दर्शाती है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 अगस्त, 2025 – सहकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले रेप्को बैंक (Repco Bank) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। बैंक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत सरकार को 22.90 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे बड़ा डिविडेंड (लाभांश) चेक सौंपा है। बैंक के अध्यक्ष ई. संथानम और प्रबंध निदेशक ओ.एम. गोकुल ने यह रिकॉर्ड चेक केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह को सौंपा। इस मौके पर मंत्री अमित शाह ने बैंक की टीम को इस शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। यह उपलब्धि सहकारिता आंदोलन और भारत सरकार के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुई है।
क्यों दिया गया यह रिकॉर्ड डिविडेंड?
रेप्को बैंक एक सहकारी बैंक है जो गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है। भारत सरकार इसमें 50.08 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है। जब कोई कंपनी या बैंक मुनाफा कमाता है, तो वह अपने शेयरधारकों को मुनाफे का एक हिस्सा लाभांश के रूप में देता है। रेप्को बैंक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 140 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ कमाया और 30% का लाभांश दिया। यह राशि बैंक के इतिहास में सबसे अधिक है। इसी लाभांश का हिस्सा, जो भारत सरकार का बनता है, वह गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह को सौंपा गया।
सहकारिता क्षेत्र के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण
मंत्री अमित शाह, जो सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ने इस उपलब्धि की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि रेप्को बैंक का प्रदर्शन सहकारिता आंदोलन के लिए एक प्रेरणा है। सरकार का उद्देश्य सहकारी बैंकों और समितियों को मजबूत और पारदर्शी बनाकर उन्हें अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना है। रेप्को बैंक का यह रिकॉर्ड मुनाफा यह दर्शाता है कि सहकारी मॉडल भी सफलतापूर्वक काम कर सकता है और वित्तीय स्थिरता हासिल कर सकता है। यह उपलब्धि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को भी मजबूती देती है।
रेप्को बैंक की वित्तीय सफलता और भविष्य
रेप्को बैंक की स्थापना 1969 में बर्मा और श्रीलंका से आए शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए की गई थी। पिछले तीन दशकों से यह बैंक लगातार लाभ कमा रहा है और नियमित रूप से लाभांश घोषित करता आ रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में 140 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित करना, बैंक के कुशल प्रबंधन और मजबूत वित्तीय नीतियों का प्रमाण है। इस मौके पर बैंक के अधिकारियों ने मंत्री को बताया कि उनका लक्ष्य आने वाले समय में और भी बेहतर प्रदर्शन करना है। रेप्को बैंक ने इस रिकॉर्ड प्रदर्शन से एक मिसाल कायम की है, जिससे अन्य सहकारी संस्थाओं को भी प्रेरणा मिलेगी।