जापान में गूंजे ‘हर हर महादेव’ के जयकारे, भारतीय संस्कृति का परचम

प्रवासी भारतीयों ने जापान में पूरी श्रद्धा से निकाली कांवड़ यात्रा, श्री राम मंदिर में किया जलाभिषेक

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  • जापान में चौथी ऐतिहासिक कांवड़ यात्रा का आयोजन, प्रवासी भारतीयों में दिखा भारी उत्साह।
  • यह यात्रा भारतीय संस्कृति और परंपराओं को विदेशों में भी जीवंत रखने का सफल प्रयास है।
  • यात्रा में पुरुष, महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हुए, जिससे यह एक सामुदायिक उत्सव बन गया।

समग्र समाचार सेवा
टोक्यो, 3 अगस्त, 2025: जापान की धरती पर भारतीय संस्कृति और आस्था का एक अद्भुत संगम देखने को मिला, जब प्रवासी भारतीयों ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ चौथी कांवड़ यात्रा का सफल आयोजन किया। यह आयोजन बिहार-झारखंड के प्रवासी समाज द्वारा किया गया, जिन्होंने अपनी जड़ों से जुड़े रहने और भारतीय परंपराओं को विदेशों में भी सहेजने का संकल्प लिया है। 2022 में शुरू हुई यह यात्रा अब प्रवासी समाज के बीच एक प्रमुख वार्षिक उत्सव का रूप ले चुकी है। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह विदेशों में रह रहे भारतीयों की सांस्कृतिक एकता और अपनी पहचान को बनाए रखने की एक मजबूत कोशिश को भी दर्शाती है।

कांवड़ यात्रा: आस्था और एकजुटता का प्रतीक

भारत में सावन के महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु गंगाजल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इसी परंपरा को जापान में भी पूरी निष्ठा से निभाया गया। बिहार फाउंडेशन जापान द्वारा आयोजित यह यात्रा प्रवासी समाज की एकजुटता का एक सशक्त उदाहरण है। इस यात्रा के माध्यम से, वे न केवल धार्मिक अनुष्ठान पूरा करते हैं, बल्कि अपनी संस्कृति के प्रति सम्मान और अपनी जड़ों से जुड़ाव भी महसूस करते हैं। यह आयोजन नई पीढ़ी को भी भारतीय परंपराओं और मूल्यों से परिचित कराता है, जिससे वे अपनी सांस्कृतिक विरासत को समझ सकें।

80 किमी की यात्रा: भक्ति और समर्पण का अद्भुत नजारा

इस वर्ष की कांवड़ यात्रा का आरंभ टोक्यो के फुनाबोरी से हुआ। कांवड़िये पारंपरिक भगवा वस्त्रों में सजे, अपने कंधों पर गंगाजल से भरी कांवड़ लेकर “बम बम भोले”, “हर हर महादेव” और “बोल कांवड़िया बोल बम” के जयघोष करते हुए पैदल ओजिमा तक गए। इसके बाद उन्होंने वाहनों से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी तय की और इबाराकी प्रांत स्थित ऐतिहासिक श्री राम मंदिर बांदो पहुँचे। यह यात्रा भक्ति और समर्पण का एक अद्भुत नजारा पेश करती है, जहाँ दूर देश में रहकर भी लोग अपनी आस्था को कायम रखे हुए हैं।

श्री राम मंदिर में हुआ जलाभिषेक, संपन्न हुई यात्रा

इबाराकी प्रांत स्थित श्री राम मंदिर में कांवड़ यात्रा का समापन हुआ। यहाँ सभी कांवड़ियों ने विधि-विधान के साथ भोले बाबा का जलाभिषेक किया। इसके बाद भगवान शिव का भव्य श्रृंगार और महाआरती की गई। मंदिर का पूरा परिसर हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा। इस आध्यात्मिक माहौल में सभी श्रद्धालुओं ने एक गहरी शांति और संतुष्टि का अनुभव किया। इस भव्य आयोजन में न केवल पुरुष, बल्कि महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हुए, जिससे यह एक सच्चे सामुदायिक और पारिवारिक उत्सव में बदल गया। एक श्रद्धालु के अनुसार, “यह यात्रा हमें अपनी संस्कृति, अपनी मिट्टी और अपनी जड़ों से जोड़ती है।”

बिहार फाउंडेशन जापान की सराहनीय पहल

बिहार फाउंडेशन जापान इस तरह के सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से जापान में रह रहे भारतीयों को एकजुट करने का सराहनीय कार्य कर रहा है। यह पहल न केवल धार्मिक भावनाओं को मजबूत करती है, बल्कि प्रवासी समाज के बीच एक मजबूत सामुदायिक भावना भी विकसित करती है। यह यात्रा दिखाती है कि भौगोलिक दूरी भले ही अधिक हो, लेकिन भारतीय अपनी संस्कृति और परंपराओं से कभी दूर नहीं हो सकते।

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