पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी को मिला बड़ा जिम्मा, राजस्थान वित्त आयोग के अध्यक्ष नियुक्त

सियासी नियुक्तियों का दौर जारी: भजनलाल सरकार ने पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को दिया अहम पद, जानिए क्या है राजस्थान वित्त आयोग का काम

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  • राजस्थान के पूर्व बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी को राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।
  • राज्यपाल ने यह आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार यह आयोग शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के उपायों पर सिफारिश करेगा।
  • अरुण चतुर्वेदी के साथ रिटायर्ड आईएएस नरेश कुमार ठकराल को आयोग का सचिव नियुक्त किया गया है।

समग्र समाचार सेवा
जयपुर, 1 अगस्त, 2025: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने सियासी नियुक्तियों के क्रम में एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी को राजस्थान राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। इस नियुक्ति के साथ ही रिटायर्ड आईएएस अधिकारी नरेश कुमार ठकराल को आयोग का सदस्य सचिव बनाया गया है। यह आयोग अगले डेढ़ साल की अवधि के लिए पद पर रहेगा और राज्य के वित्तीय ढांचे को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें करेगा।

कौन हैं अरुण चतुर्वेदी?

डॉ. अरुण चतुर्वेदी राजस्थान की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। उनका लंबा राजनीतिक और सामाजिक करियर रहा है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि: वह 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में सिविल लाइंस निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। इस दौरान उन्होंने सामाजिक न्याय और अधिकारिता, सामान्य प्रशासन, मोटर गैरेज जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री के रूप में कार्य किया। वह भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

शैक्षणिक योग्यता: डॉ. चतुर्वेदी ने वाणिज्य में एमकॉम और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। इसके अलावा उनके पास विधि स्नातक (एलएलबी) की डिग्री भी है।

संगठनात्मक अनुभव: उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में भी विभिन्न पदों पर काम किया है। उनके संगठनात्मक अनुभव और वित्तीय मामलों की समझ को देखते हुए यह नियुक्ति काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

क्या है राजस्थान वित्त आयोग का काम?

राजस्थान राज्य वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जिसका गठन संविधान के अनुच्छेद 243-आई और 243-वाई के तहत किया जाता है। इसका मुख्य कार्य राज्य सरकार और स्थानीय निकायों (पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों) के बीच राजस्व के बंटवारे की समीक्षा और सिफारिश करना है।

राजस्व बंटवारा: आयोग यह तय करता है कि राज्य के करों, शुल्कों और अन्य राजस्व में से पंचायतों और शहरी निकायों को कितनी वित्तीय हिस्सेदारी दी जानी चाहिए।

आर्थिक स्थिति का आकलन: यह आयोग स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करता है और उनकी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक उपायों का सुझाव देता है।

अनुदान की सिफारिश: आयोग राज्य की संचित निधि से पंचायतों और नगरपालिकाओं को अनुदान सहायता देने के सिद्धांतों पर भी सिफारिशें करता है।

अरुण चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाला यह नया आयोग 1 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले अगले पांच वर्षों की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट देगा।

आयोग की चुनौतियां और उम्मीदें

भजनलाल सरकार के इस कदम से यह साफ है कि वह प्रदेश के वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करने और स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने पर जोर दे रही है। आयोग के सामने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वित्तीय संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करने की बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा, आयोग को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि स्थानीय निकाय आत्मनिर्भर बनें और अपनी राजस्व वसूली में सुधार करें। अरुण चतुर्वेदी के व्यापक अनुभव को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि वह इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर पाएंगे और राज्य के वित्तीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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