भारत-अमेरिका टैरिफ : F-35 से इनकार, बढ़ती ताकत से घबराया अमेरिका

अमेरिका-भारत व्यापार विवाद: ट्रंप टैरिफ धमाकों के बीच F-35 खरीद से पीछे हटा भारत, विकल्पों पर मंथन शुरू

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 अगस्त -भारत के बढ़ते आर्थिक और रक्षा प्रभाव ने आज वैश्विक मंच पर एक नई पहचान बना ली है। दक्षिण एशिया से लेकर इंडो-पैसिफिक तक भारत की कूटनीतिक रणनीतिक पकड़ मज़बूत हो रही है। लेकिन इसी बढ़ती ताकत और आत्मनिर्भरता ने अब अमेरिका जैसे पुराने महाशक्ति को असहज कर दिया है। इसका ताजा उदाहरण पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर 25% निर्यात टैरिफ लगाने की धमकी है, जिसने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में एक नए विरोधाभास को जन्म दिया है।

भारत की बढ़ती ताकत से बेचैन अमेरिका

भारत आज वैश्विक मंच पर न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि रक्षा, तकनीक और भू-राजनीतिक रणनीति में भी मजबूत होता जा रहा है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों ने भारत को एक ऐसी उभरती हुई शक्ति में बदल दिया है, जो अब केवल विकासशील नहीं बल्कि दिशा देने वाली शक्ति बन रही है। चीन की आक्रामकता के बीच भारत ने जापान, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों के साथ मजबूत सामरिक और व्यापारिक संबंध बनाए हैं। यह वही क्षेत्र है जिसे अमेरिका अपना प्रभाव क्षेत्र मानता था।

ट्रंप का टैरिफ हमला क्या यह ईर्ष्या है ?

डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की कि अमेरिका भारत के निर्यात पर 25% टैरिफ लगाएगा। साथ ही उन्होंने भारत की व्यापार नीतियों को “कठिन और अपमानजनक” बताया। यह बयान ऐसे समय आया जब भारत और अमेरिका के बीच बायलेटरल ट्रेड डील की चर्चा अपने अंतिम चरण में थी।

इसके पीछे एक स्पष्ट राजनीतिक संदेश देखा जा रहा है —भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और स्वतंत्र विदेश नीति से अमेरिका असहज हो गया है। भारत ने रूस से ऊर्जा और रक्षा उपकरण खरीदने का निर्णय अमेरिका की आपत्ति के बावजूद लिया है। इसी वजह से ट्रंप ने भारत को “डेड इकोनॉमी” तक कह दिया और रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई।

F-35 जेट पर भारत का इनकार – आत्मनिर्भर रक्षा नीति का संकेत

भारत पर दबाव बनाने के लिए ट्रंप प्रशासन चाहता था कि भारत F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स खरीदे। लेकिन मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि भारत फिलहाल किसी महंगे अमेरिकी रक्षा सौदे की ओर नहीं बढ़ेगा। इसके बजाय भारत संयुक्त रक्षा उत्पादन, ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रक्षा निर्माण को प्राथमिकता दे रहा है। इस रुख से स्पष्ट है कि भारत अब केवल आयातक नहीं, रणनीतिक साझेदार बनना चाहता है।

संतुलित कूटनीति: न प्रतिक्रिया, न आत्मसमर्पण

भारत सरकार ने ट्रंप के टैरिफ प्रहार पर अभी तक कोई प्रतिशोधात्मक कदम नहीं उठाया है। लेकिन यह चुप्पी कमजोरी नहीं बल्कि रणनीतिक संयम है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि निर्यातकों से बात कर असर का आकलन किया जा रहा है, और “राष्ट्रीय हित की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।”
वाणिज्य मंत्रालय अब अमेरिका से प्राकृतिक गैस, संचार उपकरण और सोने के आयात को बढ़ाकर व्यापार घाटे को संतुलित करने की रणनीति पर काम कर रहा है। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत टकराव नहीं, लेकिन मूल्य आधारित कूटनीति में विश्वास रखता है।

भारत के बाजारों में स्थिरता देखी जा रही है

इस राजनीतिक घटनाक्रम का असर बाजारों पर भी देखा गया। रुपये की कीमत में 0.4% की गिरावट और NSE निफ्टी 50 इंडेक्स में 0.5% की कमी दर्ज की गई। लेकिन यह गिरावट अस्थायी रही और बाजार जल्द ही संभल गया, जो भारत की आर्थिक स्थिरता और वित्तीय आत्मविश्वास को दर्शाता है।

भारत की एशियाई कूटनीति अमेरिका के लिए चुनौती है

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में एशिया के लगभग सभी प्रमुख देशों के साथ सामरिक और आर्थिक गठबंधन को मजबूत किया है। क्वाड (Quad) में भारत की भागीदारी हो, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ बंदरगाह रणनीति, या इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ सैन्य सहयोग—भारत ने खुद को एक विश्वसनीय क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित किया है। यही कारण है कि अमेरिका अब भारत को केवल साझेदार नहीं, प्रतिद्वंद्वी भी मानने लगा है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप का यह रवैया एक मोलभाव की रणनीति भी हो सकता है, जैसा उन्होंने पहले यूरोपीय यूनियन के साथ किया था। लेकिन भारत अब उस स्थिति में नहीं जहां वह झुके या दबाव में आए। आज का भारत अमेरिका को विकल्प के रूप में देखता है, न कि एकमात्र समाधान के रूप में।

भारत-अमेरिका संबंधों में यह तनाव अस्थायी हो सकता है, लेकिन यह स्पष्ट करता है कि भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति अब अमेरिका को भी चुनौती देने लगी है। भारत के लिए यह समय है कि वह संतुलन, आत्मनिर्भरता और रणनीतिक निर्णयों के माध्यम से अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करे और विश्व पटल पर एक जिम्मेदार और प्रभावशाली शक्ति के रूप में अपनी स्थिति और मज़बूत करे।

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