ममता बनर्जी : फर्जी वोटर, फॉर्म  6 और चुनावी अराजकता का षड्यंत्र

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

पूनम शर्मा
भारत के लोकतंत्र पर इस समय एक ऐसा हमला हो रहा है, जिसे न तो गोलियों से लड़ा जा सकता है और न तलवारों से—यह हमला हो रहा है वोटर लिस्ट में घुसपैठियों के नामों के जरिए, फर्जी पहचान पत्रों के जरिए, और एक राज्य सरकार की मूक सहमति के जरिए। भारत के जैसा लोकतांत्रिक देश में चुनाव को लोकतंत्र का सबसे पवित्र पर्व समझा जाता है। लेकिन यदि इस पवित्र प्रक्रिया में ही फर्जी नागरिकों को वोटिंग का अधिकार दिया जाए, तो यह न ही संविधान का उल्लंघन है, बल्कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खुला खिलवाड़ है। और दुर्भाग्य की बात यह है कि इस खतरनाक प्रयोगशाला का नाम है—पश्चिम बंगाल।

 फर्जी वोटर और रोहिंग्या घुसपैठ: सत्ता की लालसा में राष्ट्रहित की बलि

गुजरात से बंगाल तक हाल ही में सामने आई रिपोर्ट चौंकाने वाली हैं। गुजरात में एक ऑटो ड्राइवर ने रोहिंग्या घुसपैठियों की एक पूरी अवैध बस्ती बसा दी—मकान, मस्जिदें, और नौकरी तक। सरकार को बाद में हस्तक्षेप कर उन सभी अवैध निर्माण स्थानों पर बुलडोज़र चलाना पड़ा।

बंगाल में मामला और भी गंभीर है। वहाँ बांग्लादेशी नागरिक को फर्जी दस्तावेजों पर चुनाव लड़ावाया और वह विधायक बन गया। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 87 और 88 का सीधा उल्लंघन है, जिसमें साफ़तौर पर कहा गया है कि किसी को भी जनप्रतिनिधि बनने के लिए भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।

फॉर्म  6:  नया हथियार?

India Election Commission website पर उपलब्ध Form 6 असल निर्वाचन आयोग द्वारा 18 वर्ष या अप्राप्त 18 वर्ष के हो चुके नागरिकों के लिए तथा हाल ही में पता बदला हुआ नागरिकों के लिए है। लेकिन यदि इस फॉर्म का इस्तेमाल फर्जी दस्तावेज़, बोगस आधार कार्ड, तथा फोटोशॉप्ड जन्म प्रमाण पत्रों के माध्यम से किया जाए, तो यह नियमों का उल्लंघन है  और यह भारत के लोकतंत्र की नींव को कमजोर करने वाला कुकृत्य है। सुवेंदु अधिकारी ने हाल ही में बयान दिया कि  किया है कि एक ही इलाके में 73,000 फर्जी वोटर एप्लिकेशन डाले गए हैं। सवाल यह नहीं है कि इतने नए वोटर कहाँ  से आए—सवाल यह है कि किसकी शह पर आए?

भारत यूनाइटेड किंगडम नहीं है  कॉमनवेल्थ कॉलोनी नहीं है जहाँ इस कारण से उन्हें वोट के अधिकार दिए जाएँ । ममता बनर्जी का बंगाल में  शासन मानो भारत नहीं, किसी कॉमनवेल्थ राष्ट्र की  व्यवहार कर रहा है, जहाँ नागरिकता की शर्तें बेमानी हो गई हैं। बंगाल में अब बांग्लादेशी घुसपैठिए, रोहिंग्या मुस्लिम, और अन्य गैर-भारतीय आसानी से Form 6 भर कर वोटर कार्ड पा रहे हैं, और चुनावों में भाग ले रहे हैं।

इस सभी षड्यंत्र का उद्देश्य स्पष्ट है—वोट बैंक बनाये रखना और सत्ता अपने हाथ में रखना, चाहे इसके लिए भारत की अखंडता ही दांव पर लग जाए।

 ममता शासन में लोकतंत्र से अराजकता की ओर

जब  ममता बनर्जी पिछली बार का  विधानसभा चुनाव जीत रही थीं , चुनावी हिंसा के बजाय बंगाल में जो हुआ उसका नाम राजनीतिक आतंकवाद था। BJP कार्यकर्ताओं का कत्ल कर दिया, उनकी महिलाओं के साथ  बलात्कार  हुआ, और सैकड़ों घर जलाए गए। यह किसी छिपे हुए गिरोह ने नहीं, शासकीय संरक्षण में किया गया ।

अब क्योंकि अगले चुनाव नजदीक आ गए हैं, ऐसा जोखिम जताया जा रहा है कि बंगाल फिर से वही अराजकता की ओर दिख सकता है। यदि चुनाव आयोग को अपना काम स्वतंत्र रूप से नहीं करने दिया जाए, तो संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो सकती है।

आर्थिक गिरावट और तुष्टिकरण की राजनीति

एक समय था जब पश्चिम बंगाल भारत का सबसे औद्योगिक राज्य हुआ करता था। आज ममता के शासन में 70,000 से भी अधिक कंपनियाँ राज्य छोड़ चुकी हैं। लेकिन इसके बावजूद ममता बनर्जी मंच से कहती हैं—

“मैं मुसलमानों को 100 बार खुश करने के लिए तैयार हूँ , भले ही मुझे दूध देने वाली गाय से लात ही क्यों न खानी पड़े।” यह एक संदेश है उन सभी हिंदुओं को जो बंगाल में रहते हैं और  चुनाव जीतने के लिए जिनके वोटों की उन्हें आवश्यकता नहीं है । यह कैसा संदेश है ? भारत के हिंदुओं को कैसी चुनौती है ? यह एक भारतीय द्वारा भारत के हिंदुओं की संस्कृति और धर्म का अपमान है ।  यह न केवल हिंदू समाज का अपमान है, बल्कि यह देश की एकता, संविधान और धर्मनिरपेक्षता के विचार के विरुद्ध भी है।

चुनाव आयोग को मिले कड़े अधिकार, केंद्र सरकार हो तैयार

अगर आने वाले चुनावों में वोटर लिस्ट और पहचान पत्रों की सख्त निगरानी नहीं की जाती, तो यह भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला होगा। Form 6, 7, 8 आदि प्रक्रियाओं की सख्त जांच होनी चाहिए। हर आवेदक की नागरिकता प्रमाणित की जाए।

इसके साथ ही, केंद्र सरकार को चुनाव आयोग को संवैधानिक सुरक्षा और अतिरिक्त अधिकार प्रदान करने होंगे। यदि राज्य सरकार सहयोग नहीं कर रही हो तो केंद्र को हस्तक्षेप करने के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा।

बंगाल जैसे संवेदनशील राज्य में चुनावों के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों की पूर्ण तैनाती, CCTV निगरानी, VVPAT, और आधार से वोटर लिंकिंग जैसी व्यवस्थाएं अब विकल्प नहीं, अनिवार्यता बन चुकी हैं।

यह एक वोट नहीं, यह भारत की आत्मा की रक्षा है

जब कोई अवैध व्यक्ति आपके देश के चुनाव में वोट डालकर आपकी संसद, विधानसभा या सरकार चुनता है, तो वह चुनाव नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा का अपहरण है। यह केवल एक राजनीतिक बहस नहीं, यह भारत के अस्तित्व की लड़ाई है।

ममता बनर्जी की  यह ज़िम्मेदारी है कि उन्होंने भारत की अखंडता की रक्षा करें, न कि फर्जी वोटरों के ज़रिए उसका खोखला करके। लेकिन जब ऐसा न हो, तब केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, और हर जागरूक नागरिक को मिलकर इस षड्यंत्र को विफल करना होगा । 

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.