भारत-मालदीव संबंध: 60 साल पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी
भारत-मालदीव मैत्री के 60 वर्ष: मोदी-मुइज्जू ने जारी किए खास डाक टिकट, दूरियां कम करने का संदेश
- भारत और मालदीव ने 60 वर्षों के राजनयिक संबंधों का जश्न मनाया, स्मारक डाक टिकट जारी किए गए।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने संयुक्त रूप से टिकटों का अनावरण किया।
- यह कदम दोनों देशों के बीच गहरे ऐतिहासिक और समुद्री संबंधों को दर्शाता है।
समग्र समाचार सेवा
माले, 25 जुलाई, 2025: भारत और मालदीव ने आज अपने राजनयिक संबंधों के 60 गौरवशाली वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में स्मारक डाक टिकट जारी किए। इन खास टिकटों का अनावरण भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने संयुक्त रूप से किया। यह आयोजन प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान हुआ, जब वे मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। यह प्रतीकात्मक कदम दोनों देशों के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंधों और हाल के तनाव के बाद संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
सांस्कृतिक विरासत और समुद्री संबंधों का प्रतीक
जारी किए गए स्मारक डाक टिकटों पर दोनों देशों की पारंपरिक नौकाओं को दर्शाया गया है। भारतीय डाक टिकट पर केरल की एक बड़ी लकड़ी की नाव ‘उरु’ को चित्रित किया गया है, जो भारत की समृद्ध समुद्री विरासत का प्रतीक है। वहीं, मालदीव के डाक टिकट पर एक मछली पकड़ने वाली नौका ‘वाधू धोनी’ को दर्शाया गया है, जो मालदीव के द्वीप जीवन और समुद्र के साथ उसके गहरे जुड़ाव को प्रदर्शित करती है। ये नावें न केवल दोनों देशों के साझा समुद्री इतिहास को उजागर करती हैं, बल्कि व्यापार, संस्कृति और लोगों से लोगों के बीच सदियों पुराने संबंधों को भी रेखांकित करती हैं।
यह पहल ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ तनाव था, खासकर राष्ट्रपति मुइज्जू के ‘इंडिया आउट’ अभियान और चीनी संबंधों पर अधिक जोर देने के बाद। ऐसे में, इन स्मारक टिकटों का अनावरण दोस्ती और सहयोग को फिर से मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
राजनयिक संबंधों की 60 साल की यात्रा
भारत उन पहले देशों में से था जिसने 1965 में मालदीव को स्वतंत्रता मिलने के तुरंत बाद उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। इन छह दशकों में, भारत और मालदीव ने विभिन्न क्षेत्रों में एक मजबूत साझेदारी का निर्माण किया है, जिसमें रक्षा, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और मानवीय सहायता शामिल हैं। भारत हमेशा मालदीव के सबसे भरोसेमंद भागीदारों में से एक रहा है, जो उसकी “पड़ोसी पहले” नीति के तहत सहायता प्रदान करता रहा है।
प्रधान मंत्री मोदी की यह यात्रा और स्मारक डाक टिकटों का अनावरण दोनों देशों के बीच स्थायी दोस्ती और आपसी सम्मान का प्रमाण है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करेगा कि कैसे दोनों राष्ट्र समुद्री पड़ोसियों के रूप में साझा विरासत और भविष्य के साथ जुड़े हुए हैं। यह आयोजन संबंधों में एक नई ऊर्जा का संचार करेगा, जिससे भविष्य में सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।
संबंधों को ‘रीसेट’ करने का प्रयास
हाल के महीनों में, मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी के मुद्दे और राष्ट्रपति मुइज्जू की चीन समर्थक नीतियों के कारण दोनों देशों के संबंधों में थोड़ी खटास आई थी। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी का मालदीव दौरा और वहां मिला अभूतपूर्व स्वागत (जिसमें मुइज्जू द्वारा स्वयं हवाई अड्डे पर स्वागत करना और रक्षा मंत्रालय भवन पर ‘धन्यवाद मोदी’ का बैनर लगाना शामिल है) यह दर्शाता है कि दोनों पक्ष संबंधों को सामान्य करने के लिए उत्सुक हैं।
यह स्मारक टिकट अनावरण इस ‘रीसेट’ प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दर्शाता है कि भू-राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बावजूद, भारत और मालदीव के बीच बुनियादी संबंध मजबूत बने हुए हैं और दोनों देश भविष्य में एक साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है।