IEX शेयर में भारी गिरावट: मार्केट कपलिंग, F&O बैन और नतीजों का असर
IEX शेयर क्यों गिरा? मार्केट कपलिंग, F&O बैन और Q1 नतीजों ने बढ़ाई निवेशकों की चिंता
- इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) के शेयरों में भारी गिरावट, एक दिन में 28% तक टूटा।
- सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (CERC) द्वारा ‘मार्केट कपलिंग’ को मंजूरी गिरावट का मुख्य कारण बनी।
- F&O सेगमेंट में बैन और तिमाही नतीजों से पहले निवेशकों में घबराहट से भी असर।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 जुलाई, 2025: गुरुवार (24 जुलाई) को इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) के शेयरों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ। यह शेयर एक ही दिन में लगभग 28% तक टूटकर अपने निचले सर्किट पर पहुंच गया और 52-सप्ताह के नए निचले स्तर पर आ गया। इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण रहे, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (CERC) द्वारा ‘मार्केट कपलिंग’ को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का फैसला है। इसके अतिरिक्त, IEX के शेयरों को F&O (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस) सेगमेंट में बैन कर दिया गया और पहली तिमाही (Q1) के नतीजों से पहले बाजार में बढ़ी अनिश्चितता ने भी दबाव बढ़ाया।
मार्केट कपलिंग: IEX के एकाधिकार पर खतरा
IEX, भारत का सबसे बड़ा पावर एक्सचेंज है और अब तक डे-अहेड मार्केट (DAM) और रियल-टाइम मार्केट (RTM) सेगमेंट में इसका 80-85% से अधिक का एकाधिकार था। CERC ने बुधवार देर रात एक आदेश जारी कर घोषणा की कि जनवरी 2026 से ‘मार्केट कपलिंग’ को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
मार्केट कपलिंग क्या है? यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके तहत विभिन्न पावर एक्सचेंजों (जैसे IEX, PXIL, HPX) से बिजली की खरीद और बिक्री की सभी बोलियों को एक केंद्रीय मार्केट कपलिंग ऑपरेटर (MCO) द्वारा एकत्र किया जाएगा। फिर यह MCO सभी एक्सचेंजों पर एक समान बाजार-निकासी मूल्य (market clearing price) निर्धारित करेगा। इसका मतलब है कि अब बिजली की कीमत अलग-अलग एक्सचेंजों पर अलग-अलग नहीं होगी, बल्कि पूरे देश में एक ही सिस्टम से तय होगी।
इस फैसले से IEX के लिए सीधा खतरा पैदा हो गया है, क्योंकि उसकी कीमत-निर्धारण की शक्ति और बाजार में उसकी प्रमुख स्थिति कम हो जाएगी। विश्लेषकों का मानना है कि इससे IEX का मार्केट शेयर 60-70% तक गिर सकता है, जिसका सीधा असर इसके ट्रेडिंग वॉल्यूम, राजस्व और मुनाफे पर पड़ेगा। ब्रोकरेज फर्मों ने IEX के लिए अपने अर्निंग पर शेयर (EPS) अनुमानों में बड़ी कटौती की है, जिससे निवेशकों में बिकवाली की होड़ मच गई।
F&O बैन और ट्रेडिंग वॉल्यूम का दबाव
गिरावट के बीच, IEX के शेयर को F&O सेगमेंट में भी बैन कर दिया गया। जब किसी स्टॉक में डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स का ओपन इंटरेस्ट नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) द्वारा निर्धारित मार्केट-वाइड पोजीशन लिमिट (MWPL) के 95% को पार कर जाता है, तो उसे F&O बैन सूची में डाल दिया जाता है। इसका मतलब है कि बैन अवधि के दौरान इसमें कोई नई F&O पोजीशन नहीं ली जा सकती, हालांकि मौजूदा पोजीशन को स्क्वायर ऑफ किया जा सकता है। यह कदम अत्यधिक सट्टेबाजी को रोकने और अस्थिर बाजार स्थितियों से बचने के लिए होता है। IEX में भारी ट्रेडिंग वॉल्यूम और बिकवाली के दबाव के कारण यह बैन लगा, जिससे शेयर पर और दबाव बढ़ गया।
तिमाही नतीजे और आगे की चुनौतियां
यह गिरावट IEX के पहली तिमाही (Q1 FY26) के नतीजों की घोषणा से ठीक पहले आई, जिसने निवेशकों की चिंता को और बढ़ा दिया। हालांकि IEX ने हाल ही में जून में बिजली व्यापार वॉल्यूम में वृद्धि की सूचना दी थी, लेकिन मार्केट कपलिंग के प्रभाव ने निवेशकों के सेंटिमेंट पर भारी असर डाला।
IEX को अब अपने बिजनेस मॉडल और तकनीकी ढांचे में बड़े बदलाव करने होंगे ताकि वह नई मार्केट कपलिंग व्यवस्था में खुद को बनाए रख सके। कंपनी को यह भी देखना होगा कि वह किस तरह से अपनी प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए रख पाती है, क्योंकि अब अन्य छोटे एक्सचेंजों को भी समान अवसर मिलेंगे। यह एक महत्वपूर्ण नियामक बदलाव है जो भारतीय बिजली बाजार के भविष्य और IEX जैसी कंपनियों के लिए चुनौतियों और अवसरों दोनों को फिर से परिभाषित करेगा।