स्वर्ण मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी: फरीदाबाद से सॉफ्टवेयर इंजीनियर गिरफ्तार

देश के सबसे पवित्र स्थलों में से एक को निशाना बनाने की साजिश, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

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  • अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी देने के आरोप में फरीदाबाद से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर गिरफ्तार।
  • आरोपी ने 14 से 16 जुलाई 2025 के बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) को कई ईमेल भेजे थे।
  • पुलिस जांच में तमिलनाडु और स्थानीय राजनीतिक मुद्दों से जुड़े ईमेल कंटेंट का खुलासा।

समग्र समाचार सेवा
अमृतसर, 19 जुलाई 2025: पंजाब पुलिस ने अमृतसर स्थित पवित्र स्वर्ण मंदिर (श्री हरमंदिर साहिब) को बम से उड़ाने की धमकी देने के आरोप में एक बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद से 24 वर्षीय एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभम दुबे को हिरासत में लिया है। शुभम दुबे पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) को 14 से 16 जुलाई 2025 के बीच कई धमकी भरे ईमेल भेजने का आरोप है, जिनमें स्वर्ण मंदिर को आरडीएक्स से उड़ाने की बात कही गई थी।

सिलसिलेवार धमकियां और पुलिस की त्वरित कार्रवाई

अमृतसर के पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि शुभम दुबे को केंद्रीय एजेंसियों और राज्य साइबर अपराध प्रकोष्ठ की मदद से मिली एक महत्वपूर्ण सूचना के आधार पर पकड़ा गया है। उन्होंने बताया कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति को 14 जुलाई से लगातार पांच से अधिक धमकी भरे ईमेल प्राप्त हुए थे, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर थीं। इन ईमेल में न केवल स्वर्ण मंदिर, बल्कि दिल्ली के कुछ स्कूलों और तमिलनाडु की कई संस्थाओं का भी जिक्र था।

कौन है शुभम दुबे?

पुलिस के अनुसार, 24 वर्षीय शुभम दुबे बीटेक डिग्री धारक है और उसने दो सॉफ्टवेयर कंपनियों में काम किया है, लेकिन वर्तमान में वह बेरोजगार है। पुलिस ने उसके लैपटॉप और मोबाइल फोन सहित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया है और उन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। पुलिस आयुक्त भुल्लर ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि इन ईमेल की सामग्री का एक बड़ा हिस्सा तमिलनाडु से संबंधित है, जिसमें वहां की राजनीतिक पार्टियों जैसे डीएमके और अन्ना विश्वविद्यालय की छात्राओं के बारे में भी बात की गई है। हालांकि, पुलिस ने स्पष्ट किया है कि शुभम दुबे का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।

सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और जांच का दायरा

धमकी भरे ईमेल मिलने के तुरंत बाद, अमृतसर में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई थीं। स्वर्ण मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी, जिसमें बम निरोधक दस्ता, खोजी कुत्ते और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की थी और राज्य की सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का समझौता न करने का आश्वासन दिया था। पुलिस आयुक्त ने बताया कि यह अभी “आंशिक सफलता” है, और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से अधिक जानकारी मिलने का इंतजार है ताकि मामले की पूरी तस्वीर साफ हो सके।

‘डर पैदा करने की साजिश’ या ‘बड़ी साजिश का हिस्सा’?

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इन धमकियों पर गहरी चिंता व्यक्त की थी और पुलिस की जांच में देरी पर निराशा भी जताई थी। उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या ये धमकियां सिर्फ किसी ‘परेशान दिमाग’ की हरकत हैं या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा। धामी ने आशंका व्यक्त की थी कि इन धमकियों का उद्देश्य स्वर्ण मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के मन में डर पैदा करना हो सकता है। यह गिरफ्तारी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि इन धमकियों के पीछे का असली मकसद और कोई संभावित बड़ी साजिश का खुलासा हो सके।

साइबर अपराध और राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौती

यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते खतरे और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभावों को रेखांकित करती है। धमकियां भेजने के लिए फर्जी ईमेल आईडी और जटिल साइबर तरीकों का उपयोग यह दर्शाता है कि अपराधी लगातार नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस और साइबर विशेषज्ञों के लिए ऐसी धमकियों का पता लगाना और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह मामला देश में महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर देता है।

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