‘2029 के ऑफर’ के बाद उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की गुप्त मुलाकात ने बढ़ाई सियासी हलचल

महाराष्ट्र की राजनीति में गरमाहट, क्या फिर बदलेंगे समीकरण?

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  • देवेंद्र फडणवीस के ‘2029 के बाद साथ आओ’ बयान के एक दिन बाद उद्धव ठाकरे से मिले।
  • विधान परिषद सभापति के कक्ष में 20 मिनट चली बंद कमरे की मुलाकात, आदित्य ठाकरे भी थे मौजूद।
  • महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों की अटकलें तेज, बीएमसी चुनाव पर भी असर की संभावना।

समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 19 जुलाई 2025: महाराष्ट्र की राजनीति में एक अप्रत्याशित और महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच आज एक बंद कमरे में मुलाकात हुई। यह मुलाकात उस बयान के ठीक एक दिन बाद हुई है, जब फडणवीस ने एक सार्वजनिक मंच से उद्धव ठाकरे को ‘2029 के बाद सरकार में शामिल होने’ का संकेत दिया था। इस 20 मिनट की मुलाकात ने महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में नए समीकरणों की अटकलों को तेज कर दिया है।

विधान परिषद में अप्रत्याशित भेंट

यह मुलाकात महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति राम शिंदे के कक्ष में हुई, और इसमें उद्धव ठाकरे के बेटे और विधायक आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। बैठक का विवरण अभी तक आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आया है, जिससे राजनीतिक पर्यवेक्षक विभिन्न कयास लगा रहे हैं। बुधवार को विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के विदाई समारोह के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को लेकर एक ‘हल्के-फुल्के’ अंदाज में बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि “उद्धव जी, 2029 तक (सरकार में बदलाव की) कोई गुंजाइश नहीं है। हमारे पास दूसरे तरफ (विपक्ष) जाने की गुंजाइश नहीं है। आपके पास यहां आने की गुंजाइश है और इस पर विचार किया जा सकता है। हम इसके बारे में अलग तरीके से सोच सकते हैं।”

फडणवीस के बयान के मायने और ठाकरे की प्रतिक्रिया

फडणवीस का यह बयान ऐसे समय में आया था जब महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलें तेज हो रही थीं। खासकर 5 जुलाई को उद्धव और राज ठाकरे के दो दशकों में पहली बार एक मंच साझा करने के बाद, राजनीतिक गलियारों में शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित गठबंधन की चर्चाएं तेज हो गई थीं। फडणवीस के बयान पर जब उद्धव ठाकरे से पूछा गया था, तो उन्होंने मीडिया से कहा था कि “कुछ बातों को मजाक में लेना चाहिए। ये सब हंसी-मजाक की बातें हैं।” हालांकि, इस मुलाकात ने साफ कर दिया कि यह केवल “हंसी-मजाक” से कहीं अधिक था।

क्या तीन-भाषा नीति पर हुई बात?

हालांकि मुलाकात का आधिकारिक एजेंडा गोपनीय रखा गया है, सूत्रों के अनुसार, बैठक में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद और राज्य में लागू की जा रही तीन-भाषा नीति जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। आदित्य ठाकरे ने मुलाकात के बाद मीडिया को बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को एक संकलन दिया है, जिसमें पहली कक्षा से तीन-भाषा नीति क्यों नहीं होनी चाहिए, इस पर जोर दिया गया है। उद्धव ठाकरे गुट लगातार राज्य सरकार की तीन-भाषा नीति की आलोचना कर रहा है, खासकर हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के मुद्दे पर।

महाराष्ट्र की बदलती सियासी हवा

यह मुलाकात महाराष्ट्र की तेजी से बदलती राजनीतिक हवा का एक और संकेत है। 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा से नाता तोड़ने वाले उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी सरकार बनाई थी, जो 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद गिर गई थी। तब से देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे के साथ मिलकर सत्ता संभाली है। अब, इस मुलाकात से महाराष्ट्र में एक बार फिर नए राजनीतिक समीकरणों की संभावना पर मंथन शुरू हो गया है। आगामी बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनावों से पहले यह घटनाक्रम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि बीएमसी पर पारंपरिक रूप से शिवसेना का कब्जा रहा है।

शिंदे गुट और भाजपा के भीतर की स्थिति

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि फडणवीस का यह ऑफर ऐसे समय में आया है जब भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच ‘सब कुछ ठीक नहीं’ होने की खबरें आ रही हैं। शिंदे को मुख्यमंत्री पद नहीं मिलने और कुछ फैसलों के पलटने से शिंदे गुट में नाराजगी की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। यह मुलाकात इस बात का भी संकेत हो सकती है कि भाजपा महाराष्ट्र में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है, जिसमें उद्धव ठाकरे को वापस अपने पाले में लाना भी शामिल हो सकता है।

 

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