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3200 करोड़ रुपये का महाघोटाला: नकली होलोग्राम लगाकर शराब की असली बोतलों को बेचा गया, जिससे राज्य सरकार को मिलने वाला टैक्स नेताओं और अधिकारियों की जेब में चला गया।
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बघेल परिवार की सीधी संलिप्तता: ईडी की जाँच में सामने आया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे को घोटाले से सीधे लाभ हुआ, और पूरा रैकेट मुख्यमंत्री कार्यालय की जानकारी में चल रहा था।
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राजनीतिक संरक्षण में भ्रष्ट तंत्र: सरकारी अधिकारियों, शराब कंपनियों और कांग्रेस नेताओं ने मिलकर एक सुनियोजित भ्रष्टाचार मॉडल खड़ा किया, जिसमें लाइसेंस, सप्लाई और टैक्स वसूली तक सब नियंत्रित था।
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कांग्रेस पार्टी पर गंभीर सवाल: ईडी की रिपोर्ट में कांग्रेस कार्यालय तक पैसे पहुंचने के संकेत मिलने के बाद जांच अब शीर्ष नेतृत्व यानी 10 जनपथ तक बढ़ने की संभावना, जिससे पार्टी की साख और भी नीचे गिरी है।
समग्र समाचार सेवा
छत्तीसगढ़ 18 जुलाई-छत्तीसगढ़ में सामने आया शराब घोटाला अब तक के सबसे बड़े आर्थिक अपराधों में से एक बन चुका है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई में जो तथ्य सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं और साफ इशारा करते हैं कि ये कोई छोटा-मोटा घोटाला नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित, राजनीतिक संरक्षण प्राप्त माफिया-सिंडिकेट का हिस्सा था। इस पूरे घोटाले में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे के नाम का आना, और उसके बावजूद कांग्रेस की चुप्पी, यह साबित करता है कि पार्टी भ्रष्टाचार के मामले में किस हद तक गिर चुकी है।
नकली होलोग्राम से बना लूट का मॉडल
इस घोटाले की सबसे बड़ी चालबाज़ी नकली होलोग्राम (सरकारी मुहर जैसे स्टीकर) के इस्तेमाल से की गई। शराब की असली बोतलों पर नकली होलोग्राम लगाए गए ताकि सरकार को मिलने वाला कर सरकार तक न पहुंचे, बल्कि निजी जेबों में चला जाए। आमतौर पर हर शराब की बोतल पर 50% से अधिक टैक्स होता है, जो राज्य सरकार को जाता है। लेकिन इस मामले में हजारों करोड़ रुपये के राजस्व की लूट सरकार को अंधेरे में रखकर की गई।
शराब की दुकानें, गोदाम, ट्रांसपोर्टेशन से लेकर नकली होलोग्राम की छपाई तक – हर स्तर पर भ्रष्टाचार को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। इस सिंडिकेट का संचालन अनवर ढेबर और एजाज नाम के दो कारोबारियों द्वारा किया जा रहा था, और उनका सीधा संबंध मुख्यमंत्री कार्यालय से बताया गया है।
3200 करोड़ रुपये का महाघोटाला
ईडी की रिपोर्ट बताती है कि ये घोटाला 3200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इसके लिए बाकायदा सिस्टम तैयार किया गया था जिसमें तीन लेवल पर पैसे की वसूली होती थी – शराब बनाने वाली कंपनी से, नकली होलोग्राम की सप्लाई से, और दुकानों के लाइसेंस के बंटवारे से। इस पूरे तंत्र को बघेल सरकार की नाक के नीचे, और संभवतः उसकी सहमति से चलाया गया।
अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी को विशेष रूप से इस रैकेट के संचालन के लिए नियुक्त किया गया, जिसका आदेश भी मुख्यमंत्री कार्यालय से आया। यही नहीं, होलोग्राम छापने वाली असली सरकारी कंपनी को गुमराह कर नकली होलोग्राम भी उसी जैसा बनाया गया, ताकि फर्क न किया जा सके।
बघेल का बेटा बना भ्रष्टाचार का केंद्र
इस घोटाले की जांच जब गहराई में गई, तो ईडी को इस पूरे काले खेल के तार भूपेश बघेल के बेटे से जुड़ते मिले। जांच एजेंसियों को मिले दस्तावेज़ों और बयानों से यह साफ हो गया कि जो पैसे नकली होलोग्राम और अवैध शराब बिक्री से कमाए गए, वे सीधे बघेल परिवार के पास पहुंचाए जा रहे थे। इस घोटाले से मिली ब्लैक मनी का उपयोग कांग्रेस पार्टी के प्रचार, भवन निर्माण और नेताओं की निजी संपत्तियों में किया गया।
भूपेश बघेल का बेटा इस रैकेट का किंगपिन नहीं तो अहम पात्र जरूर था। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस न केवल खामोश है, बल्कि इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताने का प्रयास कर रही है। सवाल यह है कि क्या भ्रष्टाचार पर कार्रवाई को राजनीतिक बदला कहना अब कांग्रेस की रणनीति बन चुकी है?
10 जनपथ तक पहुँचेगी ये जाँच ?
ईडी की कार्रवाई ने कांग्रेस आलाकमान को भी कठघरे में ला खड़ा किया है। जिस तरह से इस घोटाले की रकम कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के खर्चों तक जाती दिख रही है, उससे सवाल उठता है कि क्या 10 जनपथ (सोनिया गांधी का निवास) तक इसका फायदा पहुँचाया गया? कांग्रेस का रायपुर कार्यालय भी ईडी के रडार पर है, जिसके निर्माण में शराब घोटाले के पैसे लगाए जाने की आशंका जताई गई है।
अगर इस घोटाले का पैसा पार्टी कार्यालय से लेकर चुनाव प्रचार तक गया है, तो यह अकेले छत्तीसगढ़ का नहीं, कांग्रेस पार्टी का घोटाला बन जाता है। ऐसे में केवल बघेल पुत्र या अनवर एजाज की गिरफ्तारी से न्याय नहीं होगा, बल्कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं तक जांच को पहुंचना ही होगा।
कांग्रेस के डीएनए में है भ्रष्टाचार?
यह कोई पहला मामला नहीं है जब कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी हो। इससे पहले भी CWG, 2G, कोयला घोटाला जैसे कई महाघोटाले इस पार्टी के राज में हुए हैं। कांग्रेस पार्टी बिना घोटाले के शायद चल ही नहीं सकती, क्योंकि सत्ता को वह जनसेवा नहीं, धनसेवा का माध्यम मानती है।
आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं, तब कांग्रेस की ओर से ये भ्रष्टाचार का महाजाल साबित करता है कि “कट्टर ईमानदारी” केवल जुमला नहीं, ज़रूरत है – खासकर राज्यों में जहां घोटाले को छिपाने के लिए सिस्टम तक को खरीद लिया जाता है।
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला केवल एक राज्य की आर्थिक लूट नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे सत्ता में बैठे कुछ लोग जनता के टैक्स और सरकार के राजस्व को अपने निजी लाभ के लिए लूटते हैं। इस घोटाले में बघेल के बेटे की भूमिका स्पष्ट है, और यदि कांग्रेस पार्टी को खुद को लोकतांत्रिक और जिम्मेदार विपक्ष साबित करना है, तो उसे जवाब देना होगा।
अन्यथा, जनता भी अब यह समझ चुकी है कि “कांग्रेस मतलब भ्रष्टाचार”, और ऐसे घोटालों की कीमत उसे हर चुनाव में चुकानी पड़ेगी।