नाटो की रूस व्यापार चेतावनी पर भारत का कड़ा जवाब: ‘दोहरे मापदंड’ नहीं चलेंगे!
भारत ने ऊर्जा सुरक्षा को बताया सर्वोपरि, नाटो प्रमुख की धमकी को किया खारिज
- नाटो प्रमुख मार्क रुटे ने भारत, चीन और ब्राजील को रूस से व्यापार जारी रखने पर ‘दोहरे मापदंड’ और संभावित प्रतिबंधों की चेतावनी दी।
- भारत ने नाटो की चेतावनी को खारिज करते हुए ‘दोहरे मापदंड’ से बचने की सलाह दी, ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया।
- विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार और वैश्विक परिस्थितियों से निर्देशित होता है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 जुलाई 2025: नाटो (NATO) के प्रमुख मार्क रुटे द्वारा भारत, चीन और ब्राजील को रूस से व्यापार संबंध बनाए रखने पर संभावित ‘सेकेंडरी सैंक्शनंस’ की चेतावनी देने के बाद, भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए ‘दोहरे मापदंड’ (Double Standards) से बचने की सलाह दी है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत के लिए अपने नागरिकों की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है, और इस प्रयास में वह बाजार में उपलब्ध संसाधनों और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों से निर्देशित होता है।
नाटो प्रमुख की सीधी धमकी
यह मामला तब सामने आया जब नाटो महासचिव मार्क रुटे ने अमेरिकी सीनेटरों के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों से रूस के साथ अपने आर्थिक संबंधों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। रुटे ने चेतावनी दी कि यदि रूस शांति वार्ता के लिए गंभीर नहीं होता है, तो इन देशों को “100 प्रतिशत सेकेंडरी सैंक्शनंस” का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने इन देशों से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन कर शांति वार्ता के लिए गंभीर होने का आग्रह करने की अपील की। यह चेतावनी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने रूस से व्यापार करने वाले देशों पर भारी टैरिफ लगाने की बात कही थी, यदि 50 दिनों के भीतर यूक्रेन शांति समझौता नहीं होता।
भारत का ‘दोहरे मापदंड’ पर पलटवार
नाटो की इस चेतावनी पर प्रतिक्रिया देते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “हमने इस विषय पर रिपोर्ट देखी हैं और घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। मैं दोहराना चाहता हूं कि हमारे लोगों की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करना हमारे लिए स्वाभाविक रूप से एक सर्वोपरि प्राथमिकता है।” उन्होंने आगे कहा, “इस प्रयास में, हम बाजार में जो उपलब्ध है और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों से निर्देशित होते हैं। हम इस मामले में किसी भी दोहरे मापदंड के प्रति विशेष रूप से आगाह करते हैं।” भारत का यह बयान इस बात पर जोर देता है कि यूरोपीय देश स्वयं रूसी ऊर्जा का आयात कर रहे हैं, जबकि भारत को निशाना बनाया जा रहा है।
ऊर्जा सुरक्षा: भारत की विदेश नीति का मूल सिद्धांत
भारत लंबे समय से अपनी ऊर्जा सुरक्षा को अपनी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ मानता रहा है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद, भारत ने रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना जारी रखा है, जिससे पश्चिमी देशों की आलोचना भी हुई है। हालांकि, भारत का तर्क रहा है कि यह उसकी राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी संकेत दिया है कि यदि रूसी आयात बाधित होते हैं, तो भारत गुयाना, ब्राजील और कनाडा जैसे नए उत्पादकों से आपूर्ति प्राप्त करने में सक्षम है, जिससे उसकी ऊर्जा आपूर्ति में विविधता बनी रहेगी।
रणनीतिक स्वायत्तता और स्वतंत्र विदेश नीति
नाटो की यह चेतावनी भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और स्वतंत्र विदेश नीति के सिद्धांतों के साथ मेल नहीं खाती, जिस पर भारत हमेशा से कायम रहा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमोदित प्रतिबंधों को ही मान्यता दी है और किसी भी एक खेमे में शामिल होने से परहेज किया है। यह बयान वैश्विक भू-राजनीति में भारत के बढ़ते कद और अपनी प्राथमिकताओं पर अडिग रहने की उसकी क्षमता को दर्शाता है।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
यह घटनाक्रम दर्शाता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से वैश्विक समीकरणों में आए बदलावों के बीच भारत को एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है। नाटो का भारत को सीधे संबोधित करना इस बात का संकेत है कि पश्चिमी देश भारत को इस संघर्ष में एक महत्वपूर्ण प्रभावकर्ता मानते हैं। हालांकि, भारत ने बार-बार संवाद और शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “यह युद्ध का युग नहीं है” कहकर स्पष्ट किया था।