- राष्ट्रपति ने स्वच्छ सर्वेक्षण विजेताओं को बधाई दी, स्वच्छता को बताया राष्ट्रीय महायज्ञ।
- स्वच्छ महाकुंभ को मिला स्पेशल मेंशन अवार्ड, स्वच्छता-श्रद्धा का अद्भुत संगम।
- प्लास्टिक और ई-वेस्ट चुनौती; सर्कुलर इकोनॉमी, वेस्ट-टू-वेल्थ पर जोर।
नई दिल्ली, 18 जुलाई 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के विजेताओं को हार्दिक बधाई दी और स्वच्छता के राष्ट्रीय महायज्ञ में उनके अमूल्य योगदान की विशेष प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण शहरों द्वारा स्वच्छता की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का आकलन करने और उन्हें प्रोत्साहित करने में एक सफल प्रयोग सिद्ध हुआ है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल और उनकी टीम के साथ-साथ सभी राज्य सरकारों और स्वच्छता के क्षेत्र में कार्यरत संगठनों की भी सराहना की।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024: एक वैश्विक मिसाल
राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2024 के लिए विश्व के सबसे बड़े स्वच्छता सर्वेक्षण का आयोजन किया गया। इस विशालकाय सर्वेक्षण में विभिन्न हितधारकों, राज्य सरकारों, शहरी निकायों और लगभग 14 करोड़ देशवासियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई। निष्पक्ष आकलन के आधार पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहरी निकायों का पुरस्कार हेतु चयन किया गया, जो इस अभियान की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को दर्शाता है।
स्वच्छ महाकुंभ को मिला विशेष सम्मान
आज के पुरस्कार समारोह में, स्वच्छ महाकुंभ के लिए स्पेशल मेंशन अवार्ड प्रदान किया जाएगा। राष्ट्रपति ने बताया कि महाकुंभ 2025, विश्व इतिहास का सबसे बड़ा जन-समागम था, और उन्हें स्वयं पवित्र त्रिवेणी संगम में अवगाहन करने का सौभाग्य मिला था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि महाकुंभ 2025 में स्वच्छता और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अनूठी उपलब्धि के लिए उन्होंने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की सराहना की।
स्वच्छता: हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का आधार
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि स्वच्छता पर बल देना प्राचीन काल से ही हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का आधार रहा है। घरों, उपासना स्थलों और आस-पास के परिवेश को स्वच्छ रखने की परंपरा हमारी जीवन-शैली का अभिन्न अंग थी। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भी साफ-सफाई करने के अवसर का उपयोग करने की बात कही, क्योंकि यह उनके और करोड़ों देशवासियों के संस्कार तथा स्वभाव का हिस्सा रहा है। उन्होंने प्राचीन साहित्य और ऐतिहासिक ग्रंथों में अयोध्या, उज्जयिनी, पाटलिपुत्र और हम्पी जैसे नगरों की भव्यता और साफ-सफाई के विवरणों का भी उल्लेख किया।
गांधीजी का दृष्टिकोण और स्वच्छ भारत मिशन
राष्ट्रपति ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कथन “Cleanliness is next to godliness” को उद्धृत करते हुए बताया कि स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ वर्ष 2014 में गांधी जयंती के दिन किया गया था। स्वच्छ भारत मिशन Urban 2.0 की शुरुआत भी गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर वर्ष 2021 में की गई थी। उन्होंने कहा कि गांधीजी स्वच्छता को धर्म, अध्यात्म और नागरिक जीवन की आधारशिला मानते थे। राष्ट्रपति ने अपने जीवन की शुरुआत में Notified Area Council की उपाध्यक्ष के रूप में स्वच्छता कार्यों से जुड़ी अपनी यात्रा को भी साझा किया, जहां वे सफाई-मित्रों सहित अन्य लोगों से सलाह लेती थीं।
सफाई-मित्रों का सम्मान और छोटे शहरों की उपलब्धि
राष्ट्रपति ने सफाई-मित्रों को राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान के अग्रिम पंक्ति के योद्धा बताया और उनकी सुरक्षा से जुड़े प्रयासों तथा ‘सफाई-मित्र सुरक्षित शहर’ पुरस्कारों के लिए मंत्री और सभी संबद्ध लोगों की सराहना की। उन्होंने इस पुरस्कार के विजेताओं को विशेष बधाई भी दी। उन्होंने उन छोटे शहरों की भी विशेष प्रशंसा की जिनकी आबादी एक लाख से कम है, फिर भी उन्होंने संसाधनों की कमी के बावजूद स्वच्छता के प्रतिमान स्थापित किए हैं। राष्ट्रपति ने Super Swachh League में असाधारण प्रदर्शन करने वाले शहरों को शामिल करने की नई पहल की भी सराहना की। विद्यार्थियों में स्वच्छता को जीवन-मूल्य के रूप में अपनाने के उद्देश्य से शुरू किए गए स्कूल लेवल असेसमेंट के दूरगामी परिणामों की भी उन्होंने सराहना की।
सर्कुलर इकोनॉमी और ‘वेस्ट इज़ वेल्थ’ का सिद्धांत
राष्ट्रपति ने अपनी पारंपरिक जीवन-शैली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी वस्तु का कम से कम उपयोग करना, बार-बार उपयोग करना, पुरानी हो जाने पर उसी वस्तु का किसी दूसरे काम में प्रयोग करना तथा फेंकने और व्यर्थ करने से परहेज करना हमारी जीवन-शैली रही है। उन्होंने बताया कि सर्कुलर इकोनॉमी के मूल सिद्धांत तथा reduce-reuse-recycle की प्रणालियां हमारी प्राचीन जीवन-शैली के आधुनिक और व्यापक स्वरूप हैं। उन्होंने ‘Waste is Wealth’ के अपने सिद्धांत को दोहराया और प्रसन्नता व्यक्त की कि लाखों महिला उद्यमी और महिला-स्वयं-सहायता-समूह ‘वेस्ट-टू-वेल्थ’ से जुड़े हैं तथा कुछ बहुत अच्छे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।
चुनौतियाँ और 2047 का लक्ष्य
राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि स्वच्छता के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद, प्लास्टिक तथा इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट पर नियंत्रण करना और उनसे होने वाले प्रदूषण को रोकना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि भारत में प्लास्टिक की प्रति व्यक्ति खपत वैश्विक औसत के आधे से भी कम है, और उचित प्रयासों से प्लास्टिक उत्सर्जन को बहुत कम किया जा सकता है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा 2022 में सिंगल-यूज प्लास्टिक पर लगाए गए प्रतिबंध और प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए जारी Extended Producer Responsibility दिशा-निर्देशों का भी उल्लेख किया, जिनकी जिम्मेदारी सभी हितधारकों पर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बहु-आयामी और समग्र दृष्टि के साथ संचालित स्वच्छ भारत मिशन में सभी देशवासी मजबूती से भागीदारी करेंगे, और 2047 तक जिस विकसित भारत का निर्माण होगा वह विश्व के स्वच्छतम देशों में से एक होगा।