पंजाब विधानसभा ने भाखड़ा-नांगल बांध पर CISF तैनाती के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया
भगवंत मान सरकार ने केंद्र के फैसले को बताया संघीय ढांचे का उल्लंघन, पंजाब पुलिस पर जताया भरोसा
- पंजाब विधानसभा ने भाखड़ा-नांगल बांध पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती के खिलाफ एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया।
- यह कदम राज्य के अधिकारों पर अतिक्रमण बताते हुए कानून व्यवस्था को राज्य का विषय बताया गया है।
- इस प्रस्ताव से केंद्र सरकार और पंजाब सरकार के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है।
समग्र समाचार सेवा
चंडीगढ़, 12 जुलाई: पंजाब विधानसभा ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शुक्रवार को भाखड़ा-नांगल बांध पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि वह अपने इस निर्णय को तत्काल वापस ले। पंजाब सरकार का तर्क है कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और भाखड़ा-नांगल बांध की सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) की अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है। इस प्रस्ताव के पारित होने से केंद्र और राज्य के संबंधों में एक नया तनाव आने की संभावना है।
क्या है विवाद और पंजाब का रुख?
विवाद की जड़ केंद्र सरकार द्वारा भाखड़ा-नांगल बांध की सुरक्षा के लिए CISF की तैनाती का फैसला है। पंजाब सरकार इसे सीधे तौर पर अपने राजकीय अधिकारों पर अतिक्रमण मान रही है। विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि यह कदम संघीय ढांचे का उल्लंघन है, क्योंकि सुरक्षा और कानून व्यवस्था राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। पंजाब का मानना है कि भाखड़ा-नांगल बांध, जो राज्य की जीवनरेखा और समृद्धि का प्रतीक है, की सुरक्षा की जिम्मेदारी पंजाब पुलिस और BBMB की सुरक्षा विंग द्वारा सफलतापूर्वक निभाई जा रही है। ऐसे में केंद्रीय बल की तैनाती अनावश्यक और संदेह पैदा करने वाली है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में इस प्रस्ताव को पेश करते हुए तर्क दिया कि पंजाब पुलिस पूरी तरह से सक्षम है और अपने क्षेत्र की सुरक्षा करने में पूरी तरह से प्रशिक्षित है। उन्होंने कहा कि भाखड़ा बांध पंजाब के लिए सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि इसकी कृषि और अर्थव्यवस्था का आधार है, और इसकी सुरक्षा पर राज्य का पूरा अधिकार है। उन्होंने केंद्र सरकार के इस कदम को विश्वास में लिए बिना लिया गया फैसला बताया।
केंद्र का संभावित तर्क और सुरक्षा चिंताएं
हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि केंद्र सरकार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। भाखड़ा-नांगल बांध जैसी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजनाओं को संभावित आतंकी खतरों या किसी भी प्रकार के विध्वंस से बचाने के लिए केंद्र सरकार एक मजबूत और एकीकृत सुरक्षा ढांचा चाहती है। CISF को औद्योगिक और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का विशेषज्ञ बल माना जाता है, और उसकी तैनाती इसी उद्देश्य से की गई होगी। केंद्र का तर्क यह भी हो सकता है कि यह कदम किसी राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है।
राजनीतिक निहितार्थ और आगे की राह
यह विवाद न केवल सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा है, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक निहितार्थ भी हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के साथ कई मुद्दों पर पहले से ही टकराव में रही है। यह नया विवाद संघीय सिद्धांतों और राज्यों की स्वायत्तता के मुद्दे को और गरमाएगा। विपक्षी दलों, जिनमें कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल भी शामिल हैं, ने भी इस मुद्दे पर पंजाब सरकार का समर्थन किया है, जिससे यह मुद्दा राज्य भर में एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले सकता है।
आगे चलकर, केंद्र सरकार पर इस प्रस्ताव पर विचार करने का दबाव बढ़ेगा। यह संभव है कि दोनों सरकारों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हो, या फिर यह मामला कानूनी रूप से भी आगे बढ़ सकता है। फिलहाल, पंजाब विधानसभा का यह प्रस्ताव राज्य के अधिकारों को लेकर एक मजबूत संदेश है और यह दर्शाता है कि राज्य सरकार अपने महत्वपूर्ण संसाधनों की सुरक्षा और नियंत्रण को लेकर किसी भी केंद्रीय हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगी।