पप्पू यादव के बिगड़े बोल चुनाव आयोग को कहा ‘भठियारा आयोग’
बिहार चुनाव 2025: मतदाता सूची पुनरीक्षण पर बिफरे पप्पू यादव, बिहार बंद के दौरान मिली 'बेइज्जती' पर भी बोले
- पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने दरभंगा में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को “भठियारा आयोग” और “चपरासी आयोग” तक कह डाला।
- उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा और आरएसएस के ‘चपरासी’ के रूप में काम कर रहा है।
- पप्पू यादव ने राहुल गांधी के साथ रथ पर न चढ़ने दिए जाने को अपना ‘अपमान’ बताया, लेकिन कहा कि वे बिहार के सम्मान के लिए लाखों बार अपमान सहने को तैयार हैं।
समग्र समाचार सेवा
दरभंगा, बिहार, 11 जुलाई: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 की रणभेरी बजने से पहले राजनीतिक बयानबाजियां तेज हो गई हैं। इसी कड़ी में, पूर्णिया से सांसद और जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के मुखिया पप्पू यादव ने दरभंगा दौरे पर पहुँचकर कई तीखे हमले किए। उन्होंने न केवल भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की कार्यशैली पर सवाल उठाए, बल्कि हाल ही में ‘बिहार बंद’ के दौरान अपने साथ हुए कथित ‘अपमान’ पर भी खुलकर बात की। पप्पू यादव के इन बयानों ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है।
चुनाव आयोग पर ‘भठियारा’ और ‘चपरासी’ जैसे गंभीर आरोप
पप्पू यादव ने दरभंगा में मीडिया से बात करते हुए चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आयोग को “भठियारा आयोग” और “चपरासी आयोग” जैसे शब्दों से संबोधित किया। यादव ने कटाक्ष करते हुए कहा कि अब कोई पूर्व चुनाव आयुक्त टी. एन. शेषन और के. जे. राव का जमाना नहीं रहा, जब चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से कार्य करता था। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान में चुनाव आयोग के सदस्य भाजपा और आरएसएस के “घर के चपरासी” की तरह काम कर रहे हैं।
यह टिप्पणी बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के संदर्भ में आई है। पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि यह कवायद भाजपा और जदयू को फायदा पहुंचाने की एक “साजिश” है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जानबूझकर गरीब, दलित और वंचित वर्ग के लगभग सवा दो करोड़ लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने की कोशिश कर रहा है, ताकि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कुछ विशेष पार्टियों को फायदा मिल सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट बिहार की गरीब जनता के हक में फैसला देगा।
राहुल गांधी के साथ ‘अपमान’ पर पप्पू यादव की प्रतिक्रिया
हाल ही में बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ आयोजित ‘बिहार बंद’ के दौरान एक घटनाक्रम ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। इस दौरान पप्पू यादव को उस रथ पर चढ़ने नहीं दिया गया था, जिस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव सवार थे। इस घटना पर पप्पू यादव ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “बचपन से अपमानित होता आया हूं, एक बार फिर अपमानित हुआ हूं।”
हालांकि, अपने अपमान के बावजूद, पप्पू यादव ने राहुल गांधी के प्रति अपने सम्मान को बनाए रखा। उन्होंने कहा, “हम बिहार के सम्मान और स्वाभिमान के लिए लड़ रहे हैं। पप्पू यादव के सम्मान और स्वाभिमान का क्या मतलब? मेरी क्या औकात है? हम तो बचपन से ही अपमान और सम्मान सहते रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “हम बिहार की जिंदगी के लिए लड़ रहे हैं। हम तो गरीब और समाज के लिए एक लाख बार अपमान होंगे। हमें ऐसा अपमान मंजूर है, जिसमें बिहार और बिहारी को बचाया जा सके।” उन्होंने अपनी चोट को भीड़ के कारण गिरने से लगी चोट बताया, न कि किसी अपमान का नतीजा।
बिहार चुनाव 2025 और पप्पू यादव की भूमिका
पप्पू यादव लगातार बिहार के जनहित के मुद्दों को उठा रहे हैं और 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। चुनाव आयोग पर उनका सीधा हमला और अपने साथ हुए ‘अपमान’ पर उनकी प्रतिक्रिया, दोनों ही उनके राजनीतिक तेवरों को दर्शाते हैं। वे खुद को बिहार के गरीब और आम लोगों के हक के लिए लड़ने वाला नेता बताते हैं।
बिहार में आगामी चुनाव में मतदाता सूची पुनरीक्षण एक बड़ा मुद्दा बनने वाला है, और पप्पू यादव इस मुद्दे पर मुखर होकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। उनकी बयानबाजी और आक्रामक शैली अक्सर राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा करती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की चुनावी रणभूमि में पप्पू यादव की यह मुखरता और उनके आरोप-प्रत्यारोप किस हद तक असर डालते हैं, और क्या वे खुद को एक प्रभावी ताकत के रूप में स्थापित कर पाएंगे।