सुप्रीम कोर्ट, बिहार मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया जारी रहेगी – न्यायमूर्ति धुलिया
आधार और अन्य दस्तावेजों पर विचार करें
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चल रही मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति एससी धुलिया और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया को पूरा करने दिया जाएगा, जबकि याचिकाकर्ताओं की शिकायतों पर 28 जुलाई को विस्तृत सुनवाई होगी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि चुनाव आयोग केवल कुछ दस्तावेजों को ही मान्यता दे रहा है, जिससे लाखों लोगों के नाम सूची से हटाए जा सकते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे व्यापक रूप से उपलब्ध दस्तावेजों को स्वीकार किया जाना चाहिए।
इस पर न्यायमूर्ति धुलिया ने चुनाव आयोग से कहा,
“अगर आपने खुद कहा है कि यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है, तो इसे पूरा करना आपकी ज़िम्मेदारी है। आप जिन दस्तावेजों को स्वीकार कर रहे हैं, उनके अलावा याचिकाकर्ताओं द्वारा सुझाए गए दस्तावेजों पर भी विचार कीजिए। आधार कानून में उल्लिखित है और वोटर आईडी तो आप ही ने जारी किया है।”
न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया कि 28 जुलाई से पहले सभी पक्षों को अपनी दलीलें पूरी करनी होंगी, ताकि अंतिम निर्णय लिया जा सके। न्यायमूर्ति धुलिया ने आयोग से यह भी पूछा कि क्या वे याचिकाकर्ताओं द्वारा सुझाए गए दस्तावेजों को फिलहाल नामांकन और सत्यापन के लिए मान्य मान सकते हैं।
इस मुद्दे पर बिहार में राजनीतिक पारा भी चढ़ा हुआ है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह संशोधन प्रक्रिया एक “छुपा हुआ जनसंहार” है, जिसमें गरीब और हाशिए पर खड़े वर्गों को चुनकर सूची से हटाया जा रहा है। वहीं चुनाव आयोग का दावा है कि यह केवल “फर्जी नामों की सफाई” है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक बनाना है।
न्यायालय की यह टिप्पणी इस विवाद को संवैधानिक मोड़ पर ले आई है, जहां यह देखा जाएगा कि क्या नागरिकों की पहचान के लिए सरकारी दस्तावेजों की विविधता को स्वीकार किया जाना चाहिए या नहीं।
अब अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी, जिसमें अदालत इस पूरे मामले पर अंतिम निर्देश दे सकती है। फिलहाल चुनाव आयोग को यह सलाह दी गई है कि वह आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों पर गंभीरता से विचार करे, जिससे वैध मतदाता सूची से बाहर न हों।
मुख्य बिंदु:
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई।
आयोग को आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों पर विचार करने का निर्देश।
अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित।
आयोग ने कहा, “प्रक्रिया अभी अधूरी है” — न्यायालय ने कहा, “तो पूरी कीजिए।”
विपक्ष का आरोप: लाखों लोगों को सूची से बाहर करने की साजिश।