पूनम शर्मा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की घुसपैठियों को लेकर नीति पर अब सवालों की झड़ी लग चुकी है। विपक्षी दलों का आरोप है कि उन्होंने वोट बैंक के लालच में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को न सिर्फ बसने दिया, बल्कि उन्हें भारत की नागरिकता और मतदाता पहचान पत्र भी दिलवाने का रास्ता आसान किया। यह नीति न केवल संविधान और कानून के खिलाफ है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन चुकी है।
अवैध घुसपैठ: बंगाल की खुली सीमा
बांग्लादेश से सटी बंगाल की खुली सीमाओं का दुरुपयोग वर्षों से होता आ रहा है, लेकिन ममता सरकार पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर इन सीमाओं पर नियंत्रण नहीं किया। बल्कि कई मौकों पर ममता बनर्जी ने खुद इन अवैध घुसपैठियों के पक्ष में बयान दिए। उन्होंने कहा था कि “जो भी बंगाल में रह रहा है, उसे बाहर नहीं किया जाएगा, चाहे वो किसी भी देश से क्यों न आया हो।” क्या यह बयान भारत के नागरिकता कानूनों की खुली अवहेलना नहीं है?
पहचान पत्र और वोटर लिस्ट में धांधली
हाल ही में चुनाव आयोग की जाँच में यह खुलासा हुआ कि बंगाल के कई जिलों में हजारों लोगों ने फर्जी आधार कार्ड और दस्तावेजों के माध्यम से मतदाता सूची में नाम जुड़वाए। इन मामलों में ज्यादातर संदिग्धों की नागरिकता बांग्लादेश की मानी जा रही है। बीजेपी और अन्य दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह ममता सरकार की “अल्पसंख्यक तुष्टिकरण” नीति का सीधा परिणाम है।
दिल्ली हिंसा और बंगाल लिंक
दिल्ली में हाल ही में हुई हिंसा के बाद जब कई संदिग्धों की जाँच हुई तो पाया गया कि उनमें से कई अवैध घुसपैठिए थे जो बंगाल से आकर दिल्ली में बसे थे। यह सवाल खड़ा करता है कि बंगाल की धरती पर कौन-सी ताकतें ऐसे तत्वों को पाल-पोस रही हैं? क्या यह सब केवल वोट बैंक के लालच में किया जा रहा है?
शेख शाहजहाँ और सत्ता संरक्षण
बंगाल में बीरभूम से लेकर उत्तर 24 परगना तक कई जिलों में स्थानीय बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाए कि शेख शाहजहाँ जैसे अपराधियों को तृणमूल कांग्रेस का संरक्षण प्राप्त है। इन इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि स्थानीय हिंदू समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है।
भाजपा का रुख और राष्ट्रीय मुद्दा
भाजपा नेताओं ने इस पूरे प्रकरण को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए कहा है कि ममता सरकार की नीतियां देश को बांटने वाली हैं। “बंगाल में अवैध घुसपैठ को अगर रोका नहीं गया, तो जल्द ही यह मुद्दा असम, झारखंड और बिहार तक फैल जाएगा,” ऐसा भाजपा सांसदों का मानना है। वे कहते हैं कि यह केवल बंगाल की समस्या नहीं रही, अब यह भारत की सुरक्षा से जुड़ा मामला बन चुका है।
NRC और CAA पर ममता का विरोध
जब केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की बात की, तो ममता बनर्जी ने इसका तीखा विरोध किया। उन्होंने साफ कहा कि वे NRC लागू नहीं होने देंगी। सवाल उठता है – अगर कोई नागरिक भारत का है तो उसे NRC से डर क्यों होना चाहिए? क्या ममता बनर्जी को डर है कि NRC से उनके वोट बैंक का पर्दाफाश हो जाएगा?
बंगाल को बांग्लादेश बनाने की साजिश?
विपक्षी दल यह भी आरोप लगाते हैं कि बंगाल में जनसंख्या संतुलन तेजी से बदल रहा है। सीमावर्ती जिलों में हिंदू बहुलता अब अल्पसंख्यक स्थिति में आ चुकी है। क्या यह केवल संयोग है या सुनियोजित साजिश? जनसंख्या नियंत्रण की कोई नीति नहीं, और अवैध नागरिकों को लगातार बसाने की सहूलियत – यह संकेत देता है कि बंगाल को बांग्लादेशी मुस्लिम वोट बैंक का गढ़ बनाया जा रहा है।
निष्कर्ष
ममता बनर्जी की कथित “सेक्युलर” राजनीति दरअसल एक खतरनाक तुष्टिकरण की राजनीति बन चुकी है, जिसका असर भारत की आंतरिक सुरक्षा, जनसंख्या संतुलन और सांस्कृतिक अस्तित्व पर पड़ रहा है। यह केवल बंगाल की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या बन चुकी है। अब समय आ गया है कि भारत की जनता इस वोट बैंक की राजनीति को पहचानें और इसके विरुद्ध राष्ट्रहित में आवाज उठाएं।