रोहित पवार का बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर पलटवार: भाषा और राजनीति का संग्राम

महाराष्ट्र में गरमाया हिंदी-मराठी विवाद, नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज

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  • रोहित पवार ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को महाराष्ट्र आकर मराठी के खिलाफ बोलने की चुनौती दी।
  • उन्होंने निशिकांत दुबे पर बिहार और बंगाल की चुनावी रणनीति महाराष्ट्र में लागू करने का आरोप लगाया।
  • पवार ने दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री पर भी निशाना साधा।

समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 8 जुलाई: महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी भाषा को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में इस सियासी खींचतान में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) के विधायक रोहित पवार भी कूद पड़े हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे पर जमकर हमला बोला है और उन्हें महाराष्ट्र आकर मराठी के खिलाफ बोलने की खुली चुनौती दी है। यह पूरा मामला मीरा रोड पर एक हिंदू व्यापारी को कथित तौर पर पीटने की घटना के बाद शुरू हुआ, जिस पर निशिकांत दुबे ने एक भड़काऊ बयान दिया था।

निशिकांत दुबे पर रोहित पवार का तीखा हमला

निशिकांत दुबे ने अपने बयान में कहा था कि “हिंदी भाषी लोगों को मुंबई में मारने वाले यदि हिम्मत है तो महाराष्ट्र में उर्दू भाषियों को मार कर दिखाओ। अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है।” रोहित पवार ने इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि, “अगर निशिकांत दुबे में हिम्मत है तो महाराष्ट्र में आकर मराठी के खिलाफ बोलकर दिखाएं, फिर आपको पता चलेगा।” उन्होंने दुबे पर आरोप लगाया कि वे बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनावों के बारे में सोचते हुए महाराष्ट्र में “समानता की भावना को बिगाड़” रहे हैं। पवार ने स्पष्ट किया कि जो लोग राज्य और मराठी भाषा के खिलाफ बोलते हैं, वे गलत कर रहे हैं और महाराष्ट्र में इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

निरहुआ और बागेश्वर बाबा पर भी निशाना

रोहित पवार ने बीजेपी सांसद और भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ पर भी तंज कसा। जब उनसे निरहुआ को चैलेंज करने के बारे में पूछा गया तो पवार ने कहा, “मुझे नहीं पता कि वह कौन से अभिनेता हैं। उनकी फिल्में देखनी पड़ेंगी कि वे किस प्रकार की फिल्में बनाते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि निरहुआ भाजपा के पदाधिकारी हैं और बिहार में बैठकर मराठी लोगों के बारे में बयान दे रहे हैं, लेकिन अगर उन्हें हिम्मत है तो महाराष्ट्र आकर देखें।

वहीं, बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री (बाबा बागेश्वर) पर टिप्पणी करते हुए रोहित पवार ने कहा कि, “जो बाबा हैं, उन्होंने यहां आकर महाराष्ट्र के महान संतों के बारे में निम्न स्तर की बातें की थीं। धीरेंद्र शास्त्री अपनी राजनीति मध्य प्रदेश में करें। अगर भाजपा का एजेंडा है तो उससे चलें, महाराष्ट्र में संतों का एजेंडा चलता है।”

आशीष शेलार के बयान पर भी निंदा

इस विवाद में भाजपा मंत्री आशीष शेलार के बयान पर भी रोहित पवार ने कड़ी आपत्ति जताई। शेलार ने मराठी-हिंदी विवाद को अमरनाथ यात्रा पर हुए आतंकी हमले से जोड़ा था, जिसमें कश्मीर में हिंदू श्रद्धालुओं को निशाना बनाया गया था। रोहित पवार ने कहा, “हम आशीष शेलार के बयान की निंदा करते हैं क्योंकि उन्होंने मराठी लोगों की तुलना आतंकवादियों से की है। हम उन्हें सलाह देते हैं कि वे अपनी पार्टी के प्रमुख नेताओं से सावधान रहें जो कुछ नेताओं को ऐसे बयान देने के लिए कहते हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि मराठी अस्मिता का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सियासी मकसद से भाषा विवाद को हवा?

इन बयानों के पीछे राजनीतिक मंशा साफ दिख रही है। आगामी बीएमसी चुनावों को देखते हुए बीजेपी मुंबई में हिंदी भाषी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है, जबकि शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) मराठी अस्मिता के मुद्दे को भुना रही हैं। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के फैसले को वापस लेने के बाद भी यह विवाद गहराया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें फडणवीस ने मराठी भाषा के प्रति गर्व व्यक्त किया, लेकिन हिंदी का विरोध करने वालों की आलोचना की।

महाराष्ट्र में भाषा विवाद अब केवल क्षेत्रीय पहचान का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह एक बड़ा राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। रोहित पवार, निशिकांत दुबे, निरहुआ और आशीष शेलार के बयानों से स्पष्ट है कि आगामी चुनावों में यह मुद्दा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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