समग्र समाचार सेवा
पटना, 4 जुलाई: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बढ़ती खींचतान सामने आ रही है। खासकर जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है, जिसने NDA के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है।
दलित वोटों पर दावेदारी की लड़ाई
चिराग पासवान और जीतन राम मांझी दोनों ही बिहार में दलित और महादलित वोटों पर अपना दावा पेश करते रहे हैं। हाल ही में, मांझी ने चिराग को “अनुभवहीन” बताया, जिसके जवाब में चिराग की पार्टी ने मांझी पर पलटवार करते हुए उन्हें “इस्तीफा देकर भागने वाला” करार दिया। यह बयानबाजी तब शुरू हुई जब एलजेपी (रामविलास) ने चिराग पासवान को बिहार का अगला मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने की मांग उठाई, जिसे मांझी ने स्वीकार नहीं किया।
दोनों नेताओं के बीच यह तकरार केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि इसके पीछे चुनावी समीकरण और दलित वोट बैंक पर वर्चस्व की होड़ भी है। 2020 के विधानसभा चुनाव में, जीतन राम मांझी की पार्टी NDA का हिस्सा थी और उन्होंने 7 में से 4 सीटें जीती थीं, जबकि चिराग पासवान की तत्कालीन अविभाजित एलजेपी ने अकेले चुनाव लड़कर केवल एक सीट जीती थी, लेकिन कई सीटों पर जेडीयू को नुकसान पहुंचाया था।
सीट बंटवारे का पेचीदा गणित
लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिसमें भाजपा, जदयू, एलजेपी (रामविलास), हम और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल थे। हालांकि, विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का गणित लोकसभा से अलग होता है।
सूत्रों के अनुसार, विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू लगभग बराबर सीटों पर लड़ सकते हैं, जबकि बाकी बची लगभग 40-42 सीटों पर एलजेपी (रामविलास), हम और रालोमो के बीच बंटवारा होना है। चिराग पासवान की पार्टी 25 से 28 सीटों की मांग कर रही है, जबकि जीतन राम मांझी भी अपनी पार्टी के लिए कम से कम 6-7 सीटें चाहते हैं। दलित वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में जुटी बीजेपी के लिए यह अंदरूनी कलह सिरदर्द बन सकती है।
एनडीए की एकजुटता पर सवाल
जहां एक ओर बीजेपी और जदयू के नेता एनडीए की एकजुटता का दावा कर रहे हैं और नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री का चेहरा बता रहे हैं, वहीं मांझी और चिराग के बीच की तनातनी गठबंधन की आंतरिक स्थिरता पर सवाल खड़े करती है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाल ही में कहा था कि नीतीश कुमार ही 2025 के बिहार चुनाव में NDA का चेहरा होंगे, लेकिन सहयोगी दलों के बीच समन्वय बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए नेतृत्व को इन आंतरिक मतभेदों को सुलझाना होगा ताकि गठबंधन एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतर सके और बिहार में अपनी सत्ता बरकरार रख सके।