शशि थरूर के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें: निशिकांत दुबे ने क्या कहा?

कांग्रेस सांसद शशि थरूर के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने दिया जवाब, 'ऑपरेशन सिंदूर' और पेगासस समिति को लेकर भी सामने आए मतभेद।

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2 जुलाई: हाल के दिनों में, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की अटकलें राजनीतिक गलियारों में जोर पकड़ रही हैं। इन अटकलों को और हवा तब मिली जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। इसके अलावा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ी संसदीय प्रतिनिधिमंडल और पेगासस समिति को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच पूर्व में मतभेद सामने आ चुके हैं, जो भारतीय राजनीति की जटिलता को दर्शाते हैं।

थरूर के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर दुबे का बयान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे से पूछा गया कि क्या शशि थरूर भाजपा में शामिल हो सकते हैं, तो उन्होंने इस पर स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। दुबे ने कहा कि इस संबंध में उनकी थरूर से कोई व्यक्तिगत बातचीत नहीं हुई है और न ही पार्टी के भीतर इस पर कोई चर्चा हुई है। यह बयान अटकलों को समाप्त करने के बजाय, उन्हें और बढ़ावा देता है, क्योंकि दुबे ने सीधे तौर पर संभावना से इनकार नहीं किया।

पेगासस समिति विवाद: पुराने मतभेद

निशिकांत दुबे और शशि थरूर के बीच पहले भी कई मौकों पर तीखी बहस देखने को मिली है। खासकर, संसद की सूचना प्रौद्योगिकी (IT) स्थायी समिति की अध्यक्षता के दौरान उनके मतभेद खुलकर सामने आए थे। 2021 में, भाजपा सांसदों ने थरूर पर पेगासस जासूसी विवाद पर सरकार से पूछताछ करने को लेकर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। दुबे ने थरूर के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भी पेश किया था, आरोप लगाया था कि थरूर समिति की बैठकों का एजेंडा सदस्यों के साथ ठीक से साझा नहीं करते और अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं। यह विवाद इतना बढ़ गया था कि भाजपा सांसदों ने कुछ बैठकों का बहिष्कार भी किया था।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल

हाल ही में, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत की कूटनीतिक पहल के तहत विभिन्न देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे गए थे। इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ भारत की एकजुटता और पाकिस्तान के खिलाफ उसकी कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट करना था। शशि थरूर ने भी ऐसे ही एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, जो अमेरिका और ब्राजील सहित कई देशों का दौरा कर रहा था। इस दौरान थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक सक्रियता की प्रशंसा भी की थी, जिससे कांग्रेस के कुछ हलकों में भी सवाल उठे थे।

हालांकि, निशिकांत दुबे ने कहा है कि उनका थरूर के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित किसी भी बातचीत के दौरान कोई व्यक्तिगत संवाद नहीं हुआ, क्योंकि वे अलग-अलग प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा थे। यह दर्शाता है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भले ही राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर एकजुट दिखें, लेकिन घरेलू राजनीति में उनके मतभेद बरकरार रहते हैं।

भारतीय राजनीति में पक्षपात और एकजुटता

यह पूरा घटनाक्रम भारतीय राजनीति की एक जटिल तस्वीर पेश करता है, जहां नेता राष्ट्रीय मुद्दों पर एकजुटता दिखाते हैं, लेकिन पार्टीगत राजनीति और व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विताएं बनी रहती हैं। शशि थरूर जैसे नेता, जो अपनी बौद्धिक क्षमता और अंतरराष्ट्रीय पहुंच के लिए जाने जाते हैं, अक्सर अपनी ही पार्टी के भीतर भी कुछ मुद्दों पर अलग राय रखते हैं। वहीं, निशिकांत दुबे जैसे नेता सत्ता पक्ष की ओर से विपक्ष पर तीखे हमले करने में संकोच नहीं करते।

अटकलें जारी रहेंगी

फिलहाल, शशि थरूर के भाजपा में शामिल होने की अटकलें केवल अटकलें ही बनी हुई हैं। निशिकांत दुबे के बयान ने इन पर कोई स्पष्ट विराम नहीं लगाया है। भारतीय राजनीति में ऐसे कयास चलते रहते हैं, खासकर जब कोई प्रमुख विपक्षी नेता सत्ताधारी दल की प्रशंसा करता है या किसी राष्ट्रीय मिशन में शामिल होता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह राजनीतिक खींचतान आगे क्या मोड़ लेती है।

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