ज़ोहरान ममदानी और ‘हाथों से खाने’ का विवाद: सांस्कृतिक पहचान पर सवाल?
न्यूयॉर्क मेयर चुनाव के उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी के हाथों से खाने पर हुए विवाद ने सांस्कृतिक भेदभाव पर नई बहस छेड़ दी है।
समग्र समाचार सेवा
न्यूयॉर्क, 2 जुलाई: हाल ही में, न्यूयॉर्क मेयर चुनाव के लोकतांत्रिक उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी एक वायरल वीडियो को लेकर विवादों में घिर गए, जिसमें वे हाथों से खाना खाते हुए दिख रहे हैं। इस घटना ने एक बड़ा राजनीतिक और सांस्कृतिक विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें नस्लवाद और सभ्यता पर बहस छिड़ गई है।
विवाद की शुरुआत: एक साधारण क्लिप से हंगामा
ज़ोहरान ममदानी का हाथों से खाना खाते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। यह क्लिप एक इंटरव्यू के दौरान की थी, जिसमें ममदानी चावल और दाल खाते हुए दिख रहे थे। यह वीडियो तेजी से फैला और इस पर टेक्सास के एक रिपब्लिकन कांग्रेसी ब्रैंडन गिल ने टिप्पणी की, “अमेरिका में सभ्य लोग ऐसे नहीं खाते। अगर आप पश्चिमी रीति-रिवाजों को अपनाना नहीं चाहते, तो तीसरी दुनिया में वापस चले जाओ।”
नस्लवाद और पाखंड के आरोप
गिल की इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखने को मिला। कई यूजर्स ने इसे नस्लवादी और सांस्कृतिक रूप से असंवेदनशील बताया। लोगों ने तुरंत गिल के अपने ससुराल वालों की तस्वीरें ढूंढ निकालीं, जिनमें उनके भारतीय मूल के ससुर दिनेश डी’सूजा भी हाथों से खाना खाते हुए दिख रहे थे। इससे गिल पर पाखंड का आरोप लगा और उन पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया गया। यूजर्स ने सवाल किया कि क्या गिल पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज़ या बर्गर जैसी चीजें भी कांटे-छुरी से खाते हैं।
ममदानी का सांस्कृतिक जुड़ाव
ज़ोहरान ममदानी ने इस विवाद पर स्पष्ट किया कि हाथों से खाना उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि उगांडा में, जहां वे पले-बढ़े, लोग सलाद भी हाथों से खाते हैं। ममदानी, भारतीय-अमेरिकी फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे हैं और न्यूयॉर्क में एक प्रगतिशील आवाज़ के रूप में उभरे हैं।
व्यापक बहस और राजनीतिकरण
यह विवाद केवल ममदानी और गिल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने अमेरिका में सांस्कृतिक अभिव्यक्ति, नस्लवाद और राजनीतिक टिप्पणी की सीमाओं पर एक व्यापक बहस छेड़ दी। कुछ लोगों ने ममदानी पर ‘सांस्कृतिक प्रदर्शन’ का आरोप लगाया, जबकि अन्य ने गिल की टिप्पणी को विभाजनकारी और अनावश्यक बताया। यह घटना दिखाती है कि कैसे छोटी-सी बातें भी बड़े राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को जन्म दे सकती हैं।
पहचान का सम्मान आवश्यक
यह विवाद हमें याद दिलाता है कि अमेरिका जैसे विविधतापूर्ण समाज में सांस्कृतिक पहचान का सम्मान कितना महत्वपूर्ण है। किसी व्यक्ति के खाने के तरीके को उसकी “सभ्यता” से जोड़ना न केवल अनुचित है, बल्कि यह गहरी पूर्वाग्रहों को भी दर्शाता है। यह घटना दर्शाती है कि सार्वजनिक जीवन में बयानबाजी करते समय सांस्कृतिक संवेदनशीलता और समझ कितनी आवश्यक है।