पूर्वोत्तर की सीमाओं तक पहुँचा विकास: आइज़ॉल में रेलवे सेवा शुरू

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 जून: मिज़ोरम की राजधानी आइज़ॉल अब भारतीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ चुकी है। 51.38 किमी लंबी बैराबी–सएरांग ब्रॉड‑गेज रेल लाइन का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह परियोजना वर्ष 2008-09 में स्वीकृत हुई थी और अब लगभग 11 वर्षों के परिश्रम के बाद पूर्ण हो गई है

रेलवे मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 29 नवंबर 2014 को इसका शिलान्यास किया गया था। परियोजना में कुल 48 सुरंगों की कुल लंबाई 12.853 किमी और 142 पुलों का निर्माण शामिल है । गौरतलब है कि सएरांग के पास सबसे ऊँचे रेल पियर्स में से एक है, जिसकी ऊँचाई 104 मीटर है—जो कुतुब मीनार से 42 मीटर अधिक है ।

तकनीकी निरीक्षण की सटीक रिपोर्ट
6–10 जून 2025 को उत्तर‑पूर्व रेलवे सुरक्षा आयुक्त सुमीत सिंघल ने हर्टोकी–सएरांग खंड का विस्तृत निरीक्षण किया, जिसमें मोटर‑ट्रॉली और उच्च‑गतिशीलता परीक्षण शामिल था। परीक्षणों में यह सुनिश्चित किया गया कि ट्रेन सेवा 90 किमी/घंटा की गति से सुरक्षित रूप से संचालित की जा सके । उन सुरंगों और पुलों ने रोलिंग‑स्टॉक की विविध तकनीकी यात्राओं को सफलतापूर्वक पूरा किया।

राज्‍य और क्षेत्रीय विकास पर असर
इस कनेक्टिविटी से न केवल यातायात व्यवस्था में वृद्धि होगी, बल्कि क्षेत्रीय व्यापार और पर्यटन को भी जबरदस्त गति मिलने की उम्मीद है। सड़क मार्ग से आइज़ॉल पहुंचने में सिलचर से लगभग 8 घंटे तथा गुवाहाटी से 14–18 घंटे लगते थे। इसके बदले अब रेल द्वारा केवल 3 घंटे और गुवाहाटी से लगभग 12 घंटे में यात्रा संभव हो सकेगी ।

आइज़ॉल अब उत्तर‑पूर्व का चौथा राजधानी शहर बन गया है जो रेलवे नेटवर्क से जुड़ चुका है। इससे मिज़ोरम की आर्थिक एकीकरण और सामरिक महत्व की नींव मजबूत होगी ।

भव्य उद्घाटन की तैयारी
मंत्रालय जल्द ही पीएम मोदी द्वारा इस चरण के भव्य उद्घाटन की तैयारी कर रहा है । इससे यह सुनिश्चित होगा कि परियोजना का स्थानीय विकास, जनसंख्या सहभागिता और सामाजिक-आर्थिक उत्थान में सीधा लाभ पहुँचे ।

मिज़ोरम का बजट और सामाजिक रूपांतरण
परियोजना पर कुल ₹5,021.45 करोड़ की लागत आई । स्थानीय अधिकारियों का मानना है कि इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे, आधारभूत संरचनाएँ सुदृढ़ होंगी और “गति शक्ति” की दृष्टि को भी बल मिलेगा।

उपरोक्त रेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट से मिज़ोरम के लोगों में उम्मीद की नई लहर दौड़ गई है, और यह विकास की दिशा में एक ठोस कदम है। आइज़ॉल के रेल मानचित्र में शामिल होने के साथ ही अब नीतीश और केंद्र के “सार्वभौमिक कनेक्टिविटी” नीति की भी पुष्टि होती है।

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