चीन को भारत का करारा जवाब: आर्थिक धौंस पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी की चोट
चीन के खिलाफ भारत की दोहरी रणनीति
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 जून: भारत ने चीन की आर्थिक मनमानी का अब कड़ा जवाब देना शुरू कर दिया है। एक तरफ, भारत ने चीन से आयात होने वाले छह प्रमुख रसायनों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा दी है, वहीं दूसरी तरफ, विशेष उर्वरकों की आपूर्ति रोकने की चीन की “चुपचाप नाकाबंदी” को भी गंभीरता से लिया है। यह कदम तब उठाया गया है जब भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। केंद्र सरकार का साफ संदेश है कि अब देश की आर्थिक संप्रभुता सबसे ऊपर है।
सस्ते रसायनों पर लगाम
वाणिज्य मंत्रालय की ‘डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज’ (DGTR) ने एक लंबी जांच के बाद यह पाया कि चीन से सस्ते रसायन भारत में डंप किए जा रहे हैं। इससे देश के स्थानीय उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा था। इस पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने पेडा (PEDA), एसीटोनाइट्राइल, विटामिन ए पामिटेट, और अन्य रसायनों पर भारी ड्यूटी लगाई है। उदाहरण के लिए, पेडा पर 2017.9 डॉलर प्रति टन और एसीटोनाइट्राइल पर 481 डॉलर प्रति टन की ड्यूटी लगाई गई है। टायर और फार्मा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण कुछ अन्य रसायनों पर भी सख्त शुल्क लगाया गया है।
उर्वरक आपूर्ति में चीन की ‘नाकेबंदी’
एक और बड़ा मुद्दा चीन द्वारा भारत को विशेष उर्वरकों की आपूर्ति में पिछले दो महीनों से जानबूझकर की जा रही देरी है। यह वही उर्वरक हैं जो चीन अन्य देशों को बिना किसी रुकावट के भेज रहा है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह देरी भारत की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करने की एक सोची-समझी कोशिश है। मुंबई की एक कृषि-आयात कंपनी के अधिकारी ने इसे “दबाव की रणनीति” बताया, जिससे भारत के फल और सब्जी उत्पादक किसान सीधे प्रभावित हो रहे हैं।
शांत लेकिन सख्त प्रतिक्रिया
इस बार भारत ने कोई जल्दबाजी में फैसला नहीं लिया है। एंटी-डंपिंग ड्यूटी जैसे कदम WTO के नियमों के तहत पूरी तरह से वैध हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य हैं। भारत इन उपायों का उपयोग अब एक रणनीतिक हथियार के तौर पर कर रहा है। यह चीन को यह संदेश है कि अब वह भारत को हल्के में नहीं ले सकता। विशेषज्ञों के अनुसार, चीन ने पहले भी दुर्लभ खनिजों और दवाइयों के कच्चे माल का उपयोग दबाव बनाने के लिए किया है, और उर्वरकों की आपूर्ति में देरी उसी रणनीति का हिस्सा है।
आत्मनिर्भरता की ओर भारत
चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए भारत अब दीर्घकालिक योजना पर काम कर रहा है। उर्वरकों और रसायनों के लिए कनाडा, इजरायल और मोरक्को जैसे देशों से आयात के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। इसके साथ ही, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार का लक्ष्य है कि खाद्य सुरक्षा और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में चीन पर निर्भरता को पूरी तरह से खत्म किया जाए। यह दर्शाता है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया देने की बजाय आक्रामक और आत्मनिर्भर आर्थिक नीतियों को अपना रहा है।