पेरिस म्यूज़िक फेस्टिवल में ‘सुई के हमले’: क्या यह एक नया अपराध है या सिर्फ ‘सोशल पैनिक’?

त्यौहार में 145 से ज़्यादा महिलाओं ने सुई चुभोए जाने का दावा किया, पुलिस कर रही है जांच

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समग्र समाचार सेवा
पेरिस, 29 जून: पेरिस सहित पूरे फ्रांस में हर साल होने वाला ओपन-एयर म्यूज़िक फेस्टिवल “Fête de la Musique” इस बार एक डरावनी घटना के कारण सुर्खियों में है। इस समारोह में शामिल 145 से अधिक महिलाओं ने दावा किया है कि उन्हें किसी ने सुई चुभोई, जिसके बाद उन्हें कमजोरी, सुन्नपन और सिरदर्द जैसे लक्षण महसूस हुए। इस घटना ने पूरे देश में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है और महिला सुरक्षा को लेकर फिर से गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

पीड़ितों की आपबीती

22 वर्षीय मनोन ने सीएनएन को अपनी आपबीती बताते हुए कहा, “किसी ने मेरी बाईं भुजा पर टैप किया, और फिर मेरी मांसपेशी में वैसा ही सुन्नपन महसूस हुआ जैसा वैक्सीन लेते समय होता है।” आधे घंटे बाद, उन्हें अपनी बांह पर एक छोटा सा इंजेक्शन का निशान दिखाई दिया। ऐसी ही कहानी कई और महिलाओं ने भी बताई है, जिससे यह घटना एक पैटर्न का हिस्सा लग रही है।

क्या सुई में कोई नशीला पदार्थ था?

यह घटना इसलिए और भी भयावह है क्योंकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इन सुइयों में किसी प्रकार का नशा देने वाला पदार्थ जैसे GHB या रोहिपनोल था या नहीं। फ्रांस के गृह मंत्रालय ने इन सभी मामलों को गंभीरता से लिया है और जांच शुरू कर दी है। फिलहाल, सभी की टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है। पुलिस ने अब तक 12 संदिग्धों को हिरासत में लिया है, लेकिन किसी पर भी आरोप तय नहीं हुए हैं।

सोशल मीडिया का डर और ‘शहरी मिथक’ का पुनरुत्थान

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी डर का माहौल बन गया है। नारीवादी कार्यकर्ता अब्रेज सूअर ने पहले ही चेतावनी दी थी कि कुछ पुरुष ऑनलाइन ग्रुप्स में इस तरह के सुई हमलों की योजना बना रहे हैं। उनके अनुसार, इसका उद्देश्य सिर्फ नशा देना नहीं, बल्कि महिलाओं में डर पैदा करना भी है।

हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञ इसे एक ‘सामाजिक दहशत’ (social panic) का रूप भी बता रहे हैं। Le Monde अखबार के अनुसार, 2022 में भी ऐसे ही मामले सामने आए थे, जहाँ पीड़ित महिलाओं ने सुई चुभने का दावा किया था, लेकिन टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट्स में कोई भी नशीला तत्व नहीं मिला। The Times की एक रिपोर्ट में तो यहाँ तक कहा गया कि कुछ मामलों में सुई जैसी चुभन टूथपिक या मच्छर के काटने से भी हुई थी।

क्या यह सिर्फ एक शरारत है?

पुलिस अब इस पहलू पर भी विचार कर रही है कि कहीं यह सोशल मीडिया पर वायरल हुए पोस्ट्स का नतीजा तो नहीं है। “सुई हमलों को खेल की तरह पेश करने” वाले पोस्ट्स ने शायद कुछ युवाओं को ऐसी शरारत करने के लिए उकसाया हो, जिससे यह दहशत फैली। 1998 में कनाडा में भी ऐसा ही एक शहरी मिथक फैला था, जहाँ युवतियों को सुई चुभोकर एक नोट दिया जाता था – “वेलकम टू द वर्ल्ड ऑफ एड्स”।

यह घटना फ्रांस में न केवल महिला सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे सोशल मीडिया पर फैली अफवाहें और ‘पैनिक’ वास्तविक भय और भ्रम का कारण बन सकते हैं। जब तक टॉक्सिकोलॉजी रिपोर्ट नहीं आती, यह स्पष्ट नहीं होगा कि यह हमला एक जानबूझकर किया गया अपराध था या फिर सामूहिक दहशत का नतीजा।

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