ब्रिटेन से भारत तक: मुस्लिम लव जिहाद का खौफनाक सच

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पूनम शर्मा
यूरोप से लेकर  अब तक, भारत की  बेटियाँ निशाना  लव जिहाद का शिकार बनती आ  रहीं हैं । ब्रिटेन एवं अन्य उरोपिय देशों में पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम ग्रूमिंग गैंगों की हवस का शिकार।  कोई एक दो घटनाएँ  नहीं थीं, बल्कि एक सुनियोजित, संगठित आपराधिक चक्र है , जिसे दशकों तक  प्रशासन ने ‘राजनीतिक शुचिता’ के नाम पर नजरअंदाज किया।

ब्रिटेन में रोचडेल, रोदरहैम, ऑक्सफोर्ड, न्यूकैसल, टेलफोर्ड जैसे शहरों से दर्जनों मामले सामने आए, जहाँ  गरीब, गोरी, ईसाई लड़कियों को पहले ‘दोस्ती’ और ‘प्यार’ के जाल में फँसाया  गया, फिर नशीली दवाएँ  देकर सामूहिक बलात्कार, वेश्यावृत्ति और मानसिक उत्पीड़न के दौर शुरू हुए। पीड़ितों की उम्र कभी-कभी 11 वर्ष से भी कम रही। चौंकाने वाली बात यह रही कि अधिकांश दोषी पाकिस्तानी मुस्लिम पुरुष थे, जो स्थानीय समुदायों में लंबे समय से रह रहे थे।

ब्रिटिश मीडिया और पुलिस पर आरोप लगे कि वे नस्लभेद या इस्लामोफोबिया के आरोपों से बचने के लिए इन अपराधों पर चुप्पी साधे रहे। रोदरहैम स्कैंडल में तो 1400 से ज्यादा बच्चियों के साथ 16 वर्षों तक दुष्कर्म हुआ, लेकिन ‘सांप्रदायिक तनाव’ के डर से जांच नहीं हुई।

यह खतरा  असीमित है

भारत में भी यह सुनियोजित ‘ग्रूमिंग जिहाद’ चुपचाप अपने पाँव  पसार रहा है—खासकर उन इलाकों में जहाँ  इस्लामी चरमपंथ को राजनीतिक संरक्षण या सामाजिक सहानुभूति मिलती है।

पश्चिम बंगाल, असम और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों से अब लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहाँ  हिन्दू या आदिवासी लड़कियों को मुस्लिम युवकों द्वारा लव जिहाद के नाम पर प्रेम जाल में फंसाकर दुष्कर्म, धर्मांतरण और मानव तस्करी तक के मामले दर्ज किए गए हैं।

पश्चिम बंगाल में कई जिलों जैसे मालदा, मुर्शिदाबाद, और उत्तर 24 परगना में स्कूल-कॉलेज की छात्राओं को सोशल मीडिया के माध्यम से फँसाने साने और फिर पाकिस्तान-बांग्लादेश से जुड़े नेटवर्क के हवाले करने के मामले सामने आए हैं।
असम में विशेष रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच यह प्रवृत्ति देखी गई है, जहां स्थानीय जनसंख्या को डरा-धमका कर इस्लामीकरण की मुहिम चलाई जा रही है।
जम्मू-कश्मीर में तो यह घटनाएं आतंकवाद से भी जुड़ जाती हैं, जहाँ  लड़कियों को जबरन निकाह और धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जाता है।

यह कोई संयोग नहीं है कि इन घटनाओं के तार कई बार अंतरराष्ट्रीय इस्लामी संगठनों से जुड़े होते हैं। युवकों को खास तौर पर प्रशिक्षित किया जाता है कि कैसे कमजोर सामाजिक पृष्ठभूमि की लड़कियों को निशाना बनाकर ‘नारी जेहाद’ को आगे बढ़ाया जाए।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि इन गतिविधियों को कई बार स्थानीय राजनीतिक दलों, स्वयंसेवी संगठनों और मीडिया के एक वर्ग द्वारा नजरअंदाज किया जाता है, ठीक उसी तरह जैसे ब्रिटेन  एवं अन्य देशों में हो रहा है ।

यह वक्त है सच को देखने का जागने का नहीं तो देर हो जाएगी ।

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