कर्नाटक सरकार का 12 घंटे कार्यदिवस का प्रस्ताव, IT कर्मचारियों में आक्रोश
“कॉरपोरेट मुनाफे के लिए इंसानों को मशीन बनाया जा रहा है” – IT यूनियन
समग्र समाचार सेवा
बेंगलुरु,20 जून — कर्नाटक सरकार द्वारा आईटी समेत कुछ क्षेत्रों में दैनिक कार्यदिवस को 12 घंटे तक बढ़ाने के प्रस्ताव ने टेक कर्मचारियों और ट्रेड यूनियनों में भारी नाराज़गी पैदा कर दी है। सिद्धारमैया सरकार की इस पहल को कर्मचारियों ने “आधुनिक गुलामी” करार देते हुए तीव्र विरोध दर्ज कराया है।
वर्तमान में, कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961 की धारा 7 के तहत, किसी भी कर्मचारी से प्रतिदिन 9 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता। अधिकतम ओवरटाइम की सीमा 10 घंटे और तीन महीनों में कुल 50 घंटे तक सीमित है। सरकार अब इसे संशोधित कर 10 घंटे कार्यदिवस और 12 घंटे तक ओवरटाइम करने की अनुमति देना चाहती है, और ओवरटाइम की सीमा को बढ़ाकर 144 घंटे करना चाहती है।
कर्नाटक सरकार का यह कदम आंध्र प्रदेश की तर्ज पर बताया जा रहा है, जहाँ एनडीए सरकार ने निवेश आकर्षित करने के लिए कार्यदिवस को 9 से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिया है। हालाँकि आंध्र प्रदेश के सूचना और जनसंपर्क मंत्री ने दावा किया कि यह कदम महिला सशक्तिकरण और औद्योगिक विकास के लिए उठाया गया है, लेकिन ट्रेड यूनियनों ने इसे कर्मचारियों के अधिकारों पर हमला बताया।
कर्मचारी संगठनों का विरोध
बुधवार को राज्य श्रम विभाग द्वारा बुलाई गई बैठक में कर्नाटक स्टेट आईटी/आईटीईएस एम्प्लॉइज यूनियन (KITU) ने प्रस्तावित संशोधन का विरोध करते हुए कहा कि यह कर्मचारियों के जीवन को “अमानवीय” बना देगा। यूनियन के नेता सुहास अडिगा और लेनिल बाबू ने आरोप लगाया कि यह बदलाव कॉरपोरेट मुनाफे के लिए कर्मचारियों की बलि देने जैसा है।
KITU का दावा है कि 12 घंटे की शिफ्ट लागू होने से दो-शिफ्ट प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा, जिससे एक-तिहाई कार्यबल की नौकरी पर संकट आ सकता है। यूनियन ने ‘स्टेट इमोशनल वेलबीइंग रिपोर्ट 2024’ का हवाला देते हुए कहा कि 25 वर्ष से कम आयु के 90% कॉरपोरेट कर्मचारी पहले से ही तनाव और चिंता से जूझ रहे हैं।
सरकार की इस पहल को लेकर जहाँ उद्योगपतियों में उत्साह देखा जा रहा है, वहीं कर्मचारी वर्ग में इसे लेकर गहरी चिंता है। अब देखना यह है कि सरकार ट्रेड यूनियनों की इस मुखर प्रतिक्रिया को कैसे संतुलित करती है।