भारत में बनेगा फाल्कन 2000 जेट

रिलायंस-डसॉल्ट साझेदारी से एयरोस्पेस सेक्टर को नई उड़ान

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हैदराबाद, 19 जून: भारत की एयरोस्पेस निर्माण क्षमताओं को एक नई ऊंचाई मिलने जा रही है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और फ्रांस की प्रतिष्ठित विमानन कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने मिलकर भारत में फाल्कन 2000 बिजनेस जेट के निर्माण के लिए ऐतिहासिक करार किया है। यह पहला मौका होगा जब यह हाई-एंड बिजनेस जेट फ्रांस के बाहर किसी अन्य देश में निर्मित किया जाएगा।

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की अनुषंगी कंपनी, रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर, महाराष्ट्र के नागपुर स्थित मौजूदा संयंत्र में इन विमानों का असेंबली कार्य करेगी। इसी संयंत्र को ‘डसॉल्ट रिलायंस एविएशन’ (DRAL) के रूप में 2017 में स्थापित किया गया था, और अब इसे फाल्कन जेट सीरीज के लिए ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित किया जा रहा है।

फाल्कन 2000 से लेकर 8X और 6X तक भारत में होगा निर्माण

रिलायंस अब न सिर्फ फाल्कन 2000 की असेंबली करेगा, बल्कि डसॉल्ट के बड़े विमानों—फाल्कन 8X और 6X—के फ्रंट सेक्शन का निर्माण भी यहीं किया जाएगा। यह कदम भारत को उन गिने-चुने देशों की सूची में ला खड़ा करता है, जो अगली पीढ़ी के बिजनेस जेट्स का निर्माण कर रहे हैं। वर्तमान में अमेरिका, फ्रांस, ब्राजील और कनाडा इस सूची में शामिल हैं।

रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने इस समझौते को रिलायंस के लिए एक “ऐतिहासिक पड़ाव” बताया और कहा कि यह साझेदारी भारत को वैश्विक एयरोस्पेस वैल्यू चेन का एक अहम केंद्र बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।

‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा बड़ा बढ़ावा

डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि यह करार ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि DRAL को फ्रांस के बाहर पहला फाल्कन असेंबली सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का निर्णय डसॉल्ट की भारत के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उन्होंने भरोसा जताया कि यह साझेदारी ना सिर्फ भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को उन्नत करेगी, बल्कि DRAL के विकास को भी नई गति देगी।

नागपुर बना भारत का एयरोस्पेस हब

DRAL ने 2019 में फाल्कन 2000 जेट के पहले फ्रंट सेक्शन की डिलीवरी दी थी और तब से अब तक 100 से अधिक प्रमुख सेक्शनों का निर्माण कर चुका है। नागपुर का MIHAN SEZ अब एक वैश्विक विमानन केंद्र के रूप में उभर रहा है, और यह साझेदारी भारत को वैश्विक विमानन मानचित्र पर स्थायी स्थान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

 

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