ईरान-इज़राइल युद्ध की आँच : क्या तेहरान से निकल पाएँगे भारतीय छात्र?
पूनम शर्मा
पश्चिम एशिया के दो चिर-शत्रु देशों, ईरान और इज़राइल, के बीच संघर्ष अब बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुँच गया है। यह टकराव अब सिर्फ धमकियों और सामरिक आक्रोश तक सीमित नहीं है, बल्कि वास्तविक हवाई हमलों और मिसाइलों की बारिश बन चुका है, जिसने पूरे क्षेत्र को युद्ध की कगार पर खड़ा कर दिया है।
हालात इस हद तक बिगड़ चुके हैं कि इज़राइल ने दावा किया है कि उसने ईरान के ऊपर ‘पूर्ण हवाई नियंत्रण’ प्राप्त कर लिया है। इसी बीच एक सनसनीखेज घटना तब सामने आई जब तेहरान स्थित ईरान स्टेट टीवी का स्टूडियो एक इज़राइली मिसाइल हमले का शिकार हो गया। लाइव बुलेटिन पढ़ रही न्यूज एंकर सहर इमामी को स्टूडियो छोड़कर भागना पड़ा। वीडियो में देखा जा सकता है कि जैसे ही धमाका हुआ, कैमरा हिल गया, और स्टूडियो ‘अल्लाह-हु-अकबर’ के नारों से गूंज उठा।
भारत के लिए बढ़ती चिंता: 10,000 मेडिकल छात्र फँसे
इस युद्ध के बीच भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय हैं ईरान में मौजूद करीब 10,000 भारतीय मेडिकल छात्र, जो वहां की विभिन्न यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई कर रहे हैं। इन छात्रों में से सैकड़ों को तेहरान से क़ुम (Qom) शहर की ओर सुरक्षित ले जाया जा रहा है, जो राजधानी से लगभग 150 किलोमीटर दूर है।
भारतीय दूतावास ने हालात की गंभीरता को देखते हुए आपात राहत अभियान शुरू कर दिया है, और छात्रों को छोटे-छोटे समूहों में बसों और निजी वाहनों के ज़रिए सुरक्षित स्थानों की ओर भेजा जा रहा है। हालांकि, तेहरान छोड़ने वाले हाईवे पर भयंकर ट्रैफिक जाम देखा जा रहा है। गाड़ियों की कतारें मीलों तक फैली हैं क्योंकि लोग अपने घर छोड़कर ज़रूरी सामान के साथ भागने को मजबूर हैं।
इज़राइल की चेतावनी और तेहरान में दहशत
इज़राइल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज़ ने साफ कर दिया है कि उनका मकसद ईरान की जनता को नुकसान पहुँचाना नहीं है, लेकिन तानाशाही शासन के केंद्रों को निशाना बनाने के लिए राजधानी में हमले जरूरी हैं। उनके बयान के अनुसार, “तेहरान के नागरिकों को अपने घर खाली करने पड़ सकते हैं क्योंकि हम वहां के सुरक्षा ढांचे और शासन तंत्र को नष्ट करेंगे।”
हालांकि ईरानी प्रशासन ने इसे “मनोवैज्ञानिक युद्ध” करार दिया है और जनता से अपील की है कि घबराएं नहीं, लेकिन ईरानी टीवी ने खुद तेहरान छोड़ने वालों की वीडियो फुटेज प्रसारित की हैं, जिससे ज़ाहिर होता है कि हालात बेहद तनावपूर्ण हैं।
नेतन्याहू का ऐलान: ‘हम दो लक्ष्य हासिल करेंगे’
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने सैनिकों को संबोधित करते हुए दो अहम लक्ष्यों की घोषणा की है:
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करना ,उसके मिसाइल खतरों को हमेशा के लिए खत्म करना
इज़राइल ने यह भी कहा है कि उसकी सैन्य कार्रवाई अगले कुछ दिनों में और ज्यादा आक्रामक होगी। ये घटनाएं ईरान द्वारा तेल अवीव और यरुशलम पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइल दागने के बाद हो रही हैं। हालांकि अधिकांश मिसाइलें इज़राइली रक्षा प्रणालियों ने रोक लीं, फिर भी कम से कम सात मिसाइलें शहरों में गिरीं, जिससे 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
मीडिया हिट: एक मनोवैज्ञानिक आघात
ईरान स्टेट टीवी के स्टूडियो पर हमला केवल एक मिसाइल स्ट्राइक नहीं था, यह एक रणनीतिक मनोवैज्ञानिक संदेश भी था। जब एक देश की आधिकारिक मीडिया संस्थान पर हमला होता है, वह सिर्फ इमारत नहीं गिरती, पूरे राष्ट्र का आत्मविश्वास डगमगाता है। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि इज़राइल अब केवल सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि प्रोपेगैंडा इंफ्रास्ट्रक्चर को भी नष्ट करेगा।
भारत के लिए चुनौतीपूर्ण समय
भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालना अब भारत सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। हालात किसी भी वक्त और बिगड़ सकते हैं। अगर इज़राइल ज़मीनी हमला शुरू करता है, या ईरान के जवाबी हमले तेज़ होते हैं, तो इन छात्रों के लिए निकासी अभियान और भी जोखिम भरा हो सकता है। भारतीय दूतावास को ईरान की स्थानीय सरकार और सेना के साथ संपर्क बनाए रखना होगा, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति में हवाई निकासी (airlift) की व्यवस्था की जा सके।
भारत सरकार को न सिर्फ अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, बल्कि भविष्य में पश्चिम एशिया में स्थित अपने रणनीतिक और ऊर्जा हितों को भी ध्यान में रखना है। इस संघर्ष का दायरा अगर और बढ़ा, तो इसका असर तेल आपूर्ति, भारतीय नागरिकों की नौकरियां, और विदेशी मुद्रा प्रवाह पर भी पड़ेगा।
ईरान और इज़राइल के बीच यह संघर्ष अब उस सीमा पर पहुँच चुका है, जहाँ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति भी विफल होती दिख रही है। अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय देश केवल बयानबाज़ी कर रहे हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि मिसाइलें गिर रही हैं, नागरिक मर रहे हैं, और हजारों भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।
भारत को तुरंत प्रभाव से अपने छात्रों की सुरक्षित वापसी की गारंटी करनी चाहिए। पश्चिम एशिया की आग में भारतीय युवाओं का झुलसना इस देश के लिए न तो नैतिक रूप से स्वीकार्य है और न ही कूटनीतिक रूप से।