बिहार में तेज़ ड्रामा : तेज़ प्रताप चुनाव लड़ेंगे, नई पार्टी बनाएँगे या किसी और दल में जाएँगे?

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समग्र समाचार सेवा पटना,27 मई :बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव समग्र समाचार सेवा पटना,27 मई :बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव एक बार फिर अपने भविष्य को लेकर चर्चा में हैं। पार्टी के भीतर मतभेद, छोटे भाई तेजस्वी यादव से तल्ख रिश्ते और संगठन में हाशिये पर डाल दिए जाने के कारण अब यह सवाल खड़ा हो गया है — तेज प्रताप अगला राजनीतिक कदम क्या उठाएंगे?

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार तेज प्रताप यादव तीन प्रमुख विकल्पों पर विचार कर रहे हैं:

1. निर्दलीय चुनाव लड़ना:
तेज प्रताप यादव आगामी चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतर सकते हैं। महुआ और हसनपुर जैसे क्षेत्रों में उनका अपना एक जनाधार है। पार्टी लाइन से अलग होकर अपनी पहचान को स्थापित करने का यह सीधा रास्ता हो सकता है।

2. नई पार्टी की घोषणा:
पहले ‘लालू-राबड़ी मोर्चा’ जैसी पहल कर चुके तेज प्रताप अब पूरी तरह से एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू करने की तैयारी में हैं। युवाओं, बेरोजगारी और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को आधार बनाकर वे एक वैकल्पिक मंच तैयार कर सकते हैं।

3. किसी अन्य पार्टी में शामिल होना:
यह विकल्प कम संभावित है, लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं। तेज प्रताप यदि JD(U) या यहां तक कि BJP जैसे विरोधी खेमों से हाथ मिला लें, तो बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है — भले ही उनकी विचारधारा से मेल न खाती हो।

 बिहार की राजनीति — जहाँ  हर दिन एक नया ड्रामा है

तेज प्रताप यादव की असमंजस की स्थिति बिहार की उस राजनीति को दर्शाती है जो मुद्दों से ज्यादा व्यक्तित्वों के इर्द-गिर्द घूमती है। जहां तेजस्वी यादव ने खुद को एक जिम्मेदार विपक्षी नेता के रूप में स्थापित किया है, वहीं तेज प्रताप की छवि आज भी एक अनिश्चित, धार्मिक-आध्यात्मिक और कभी-कभी हास्यास्पद नेता की बनी हुई है।

फिर भी, लालू-राबड़ी के पुराने समर्थकों में उनके लिए भावनात्मक जुड़ाव बना हुआ है। अगर तेज प्रताप इस जनभावना को संगठित ताकत में बदल सकें, तो वे सीमित क्षेत्रों में ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकते हैं।

नई पार्टी बनाना आसान नहीं — संगठन, फंडिंग और कार्यकर्ता चाहिए, जो अभी उनके पास नहीं हैं। दूसरी ओर, अगर उन्होंने पार्टी के भीतर सुलह का रास्ता चुना, तो RJD एकजुट रह सकती है।

तेज प्रताप यादव आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। उनका अगला कदम सिर्फ उनके भविष्य को नहीं, बल्कि RJD और पूरे बिहार की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकता है। एक बात तय है — बिहार में सियासी नाटक कभी खत्म नहीं होता।

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