|| संगति पवित्र रखें ||

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                                                                                                        आज का भगवद  चिंतन 

          बुरा करने से तो बचना ही चाहिए लेकिन बुरा सुनने और बुरा देखने से भी अपने आपको अवश्य बचाना चाहिए। संगति हमारे विचारों का निर्धारण करती है और विचारों से ही हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। जीवन निर्माण में विचारों एवं संगति की बहुत बड़ी भूमिका होती है। हमारे जीवन की बुराई से ही हमारा जीवन बुरा नहीं बन जाता अपितु दूसरों के जीवन की बुराई देख-देखकर भी हमारा चित्त मलिन  एवं जीवन विकारयुक्त बन जाता है। 

            देर से सही पर परिवेश अथवा संग का हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। चंदन वृक्ष की संगति से सामान्य वृक्षों में सुगंधी आने लग जाती है और दूध की संगति से पानी का मोल भी बढ़ जाता है। इसी प्रकार से जीवन में आपका परिवेश, आपका संग, आपका समाज आपके जीवन को मूल्यवान अथवा निर्मूल्य बना देता है। पवित्र जीवन के लिए पवित्र विचार एवं पवित्र विचारों के लिए पवित्र परिवेश व पवित्र संगति का होना भी अति आवश्यक है।

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