समग्र समाचार सेवा
देश में इस वक्त एक बड़े और सुनियोजित जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ हो रहा है। देश की सुरक्षा एजेंसियों ने हाल के दिनों में कई राज्यों से जासूसी के आरोप में गिरफ्तारियाँ की हैं। लेकिन इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में जो नाम है, वह है ज्योति मल्होत्रा । यह नाम अब राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में बहस का विषय बन चुका है। ज्योति पर पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश के साथ संदिग्ध संपर्कों का आरोप है। उससे पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। यह मामला केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि एक बड़े षड्यंत्र की परतें खुल रही हैं, जो देश की आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित कर रही हैं।
कौन है ज्योति मल्होत्रा और क्यों है विवादों में?
ज्योति मल्होत्रा, एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और यूट्यूबर, जो खुद को स्वतंत्र पत्रकार और ट्रैवल व्लॉगर बताती रही है, अब जाँच एजेंसियों के घेरे में है। उससे कई गंभीर सवाल पूछे जा रहे हैं:
- उसका पाकिस्तान से क्या संबंध है?
- वह कितनी बार पाकिस्तान गई?
- उसने पाकिस्तान में किन लोगों से मुलाकात की, विशेषकर क्रिकेट बोर्ड और पाकिस्तान एम्बेसी से जुड़े लोगों से?
- वह आठ देशों में कैसे घूमती रही जबकि उसके यूट्यूब चैनल की कमाई इतनी अधिक नहीं है?
- क्या उसके पास कोई छिपा स्रोत था जिससे उसे फंडिंग मिल रही थी?
इन सवालों के स्पष्ट जवाब देने से ज्योति बार-बार बचती रही है। उससे यह भी पूछा गया कि एक सामान्य कारपेंटर की बेटी इतनी महँगी विदेश यात्राएँ कैसे कर सकती है?
पाकिस्तान और लश्कर ए तैयबा से कनेक्शन?
जाँच में यह भी सामने आया कि ज्योति पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय मुरीदके भी गई थी। यह वही जगह है जहाँ से आतंकवाद की सबसे बड़ी साजिशें रची जाती हैं। वहाँ तक किसी आम नागरिक का पहुँचना असंभव माना जाता है जब तक कि कोई ‘खास संपर्क’ न हो।
इतना ही नहीं, वह पाकिस्तान में मरियम नवाज से भी मिली, जो कि पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी की नेता हैं। यह मुलाकात बिना ISI की अनुमति के संभव नहीं मानी जाती। फिर सवाल उठता है कि एक यूट्यूबर को ये विशेषाधिकार क्यों मिले?
दानिश का रोल और ऑपरेशन सिंदूर
इस केस में एक और नाम सामने आया है — दानिश, जो ज्योति का करीबी बताया जा रहा है। वह पहलगाम में एक्टिव था और संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाया गया। दानिश के फोन से ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी जानकारियाँ डिलीट कर दी गईं, लेकिन फॉरेंसिक जाँच में ये जानकारियाँ मिल रहीं है । दानिश के पकड़े जाने के बाद से ही ज्योति ने भी अपने डिजिटल सबूत मिटाने की कोशिश की।
देशभर में गिरफ्तारियाँ और जाँच का फैलाव
यह केस सिर्फ ज्योति तक सीमित नहीं है। अब तक पंजाब, असम, केरल, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से दर्जनों गिरफ्तारी हो चुकी हैं। खासतौर पर पंजाब, जो सीमांत प्रदेश है, वहाँ दो दिनों में ही 12 लोग पकड़े गए। इनमें से कई पाकिस्तान से फोन कॉल्स पर सक्रिय थे और गुप्त सूचनाएँ साझा कर रहे थे।
मुंबई एयरपोर्ट से भी दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया जो पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहे थे। केरल से भी ऐसे युवकों को पकड़ा गया है जो PFI और ISIS से प्रभावित क्षेत्रों में बिना किसी स्पष्ट उद्देश्य के घूमते पाए गए।
छोटी मछलियाँ और बड़ी साज़िश
जाँच एजेंसियों के अनुसार, अब तक जिन लोगों को पकड़ा गया है वे “छोटी मछलियाँ” हैं। इन्हें एक बार की सूचना के लिए ₹30,000-₹40,000 तक मिलते थे। लेकिन असली ‘बड़ी मछलियाँ’ कौन हैं? कौन है वो जो करोड़ों का फंड इस नेटवर्क को दे रहा है?
ISI का कुल बजट करीब ₹5 अरब का है जिसमें से आधा से ज्यादा भारत में प्रॉक्सी वॉर और जासूसी के लिए इस्तेमाल होता है। फंडिंग सिर्फ पैसे से नहीं होती, बल्कि मानसिक और नैरेटिव वॉर के जरिए भी होती है — यानि कि सोशल मीडिया, यूट्यूब, अखबार और टीवी चैनल्स पर पाकिस्तान का पक्ष रखने वाले नैरेटिव को प्रमोट किया जाता है।
राजनीतिक कनेक्शन भी?
जाँच की परतें खुलते-खुलते अब मामला राजनीतिक गलियारों तक पहुँच गया है। असम के कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई पर भी सवाल उठे हैं कि वे पाकिस्तान 15 दिन के लिए क्यों गए थे और क्या किया? उनकी पत्नी एलिजाबेथ को एक पाकिस्तानी NGO से लगातार वेतन क्यों मिल रहा है, जिसका संबंध ISI से बताया जा रहा है?
इसी तरह समाजवादी पार्टी से जुड़े नेता महमूदाबाद का नाम भी सामने आ रहा है। इन सभी पर अभी या तो जाँच जारी है या गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
सुप्रीम कोर्ट की शरण में गद्दार गैंग?
सूत्रों के मुताबिक, अब कई बड़े नाम अपने बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं ताकि उनके खिलाफ गिरफ्तारी पर रोक लगाई जा सके। वे चाहते हैं कि कोर्ट कहे कि पुलिस जाँच कर सकती है लेकिन गिरफ्तार नहीं कर सकती।
यह दर्शाता है कि जो लोग सच में फँसे हुए हैं वे अब कानूनी जाल के सहारे खुद को बचाने में लगे हैं।
देश को अंदर से खोखला करने की साजिश?
यह पूरी जाँच हमें बताती है कि पाकिस्तान लंबे समय से भारत के अंदर अपने एजेंट्स को तैयार कर रहा है। पहले ये काम केवल आतंकवादियों से करवाया जाता था, अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, पत्रकारों और यूट्यूबर्स को भी शामिल किया गया है।
इसलिए सवाल अब जनता के सामने भी है —
- क्या हमें ऐसे चेहरों को बेनकाब नहीं करना चाहिए?
- क्या मीडिया, यूट्यूब, और सोशल मीडिया पर मौजूद सभी को अपनी आय का स्रोत सार्वजनिक नहीं करना चाहिए?
यह जाँच एक शुरुआत है। आगे और कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं। पर साफ है कि सुरक्षा एजेंसियाँ अब सतर्क हैं और देशद्रोह की हर साज़िश को कुचलने के लिए तैयार हैं।