भारत और अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा ? भारत में आतंकी गतिविधियों के दो जेहादी डोनाल्ड ट्रंप की सलाहकार समिति में शामिल ?

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समग्र समाचार सेवा 

नई दिल्ली, 18 मई  – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा गठित व्हाइट हाउस की Advisory Board of Lay Leaders में एक पूर्व जेहादी को नियुक्त किए जाने से विवाद खड़ा हो गया है। इस व्यक्ति का नाम इस्माइल रॉयर (पहले रेंडल टॉड रॉयर) है, जो कभी पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण ले चुका है और जम्मू-कश्मीर में भारतीय ठिकानों पर हमला भी कर चुका है।

2004 में अमेरिका की अदालत ने उसे 20 साल की सजा सुनाई थी, हालांकि वह करीब 13 साल जेल में रहा और 2017 में रिहा हुआ। अमेरिकी पत्रकार लारा लूमर के मुताबिक, रॉयर ने आतंकियों को पाकिस्तान के आतंकी कैंपों में भेजने में भी मदद की थी।

रॉयर 1992 में इस्लाम धर्म अपनाने के बाद कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल हुआ। 2000 में उसने LeT के साथ मिलकर न केवल प्रशिक्षण लिया, बल्कि हथियारों का इस्तेमाल कर भारत के खिलाफ हमलों में भी भाग लिया।

रॉयर का नाम अमेरिका में “वर्जीनिया जेहाद नेटवर्क” से भी जुड़ा रहा है। यह नेटवर्क तालिबान और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन करता था। रॉयर ने खुद कबूल किया था कि उसने LeT कैंप में अपने साथियों को रॉकेट लॉन्चर और ऑटोमेटिक हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दिलवाई थी।

हाल ही में व्हाइट हाउस द्वारा जारी बयान में रॉयर को Religious Freedom Institute में इस्लाम और धार्मिक स्वतंत्रता पर कार्य करने वाला बताया गया है। इसमें दावा किया गया कि वह अब धार्मिक सौहार्द और शांति के लिए कार्य कर रहा है।

इस समिति में एक और नाम सामने आया है – शेख हमज़ा यूसुफ, जो ज़ैतूना कॉलेज के सह-संस्थापक हैं। लूमर ने उन पर भी मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास जैसे संगठनों से जुड़ाव का आरोप लगाया है।

इस नियुक्ति पर अमेरिका और भारत दोनों में चिंता जताई जा रही है। सवाल उठ रहा है कि क्या एक पूर्व आतंकवादी को इतनी अहम भूमिका में रखना सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है?

यह नियुक्ति ट्रंप प्रशासन की नीति और उनके नजरिए पर गंभीर सवाल खड़े करती है, खासकर ऐसे समय में जब दुनियाभर में कट्टरपंथ और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की जरूरत है।

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