किसी भी व्यक्ति के जीवन में ऐसी कई चीजें होती हैं जो उनकी सफलता और असफलता का कारण बनती हैं। अगर आप वास्तु में विश्वास रखते है तो हम आपको आज कुछ ऐसा बताने जा रहे है जो जूते से संबंधित और आपके लिए जानना काफी जरूरी है। ज्योतिष के मुताबिक, व्यक्ति की कुंडली का आठवां भाव पैरों के तलवों से संबंधित है और पैरों के जूते भी आठवें भाव को महत्व देते हैं. ऐसे में यह काफी महत्वपूर्ण होता है कि आप किस तरह के जूते पहनते हैं-
– कभी भी जूते किसी को उपहार में नहीं देने चाहिए. जूते ना तो किसी से उपहार में लेने चाहिए और ना ही किसी को देने चाहिए।
– कभी भी पूराने और फटे हुए जूते पहनकर नौकरी ढूंढने के लिए नहीं जाना चाहिए . इससे आपको असफलता मिलती है।
– ऑफिस या कार्यक्षेत्र में भूरे रंग के जूते पहनकर जाने से व्यक्ति के कार्यों में अक्सर बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
– जूते अथवा चप्पल की पॉलिस और चमक सदैव बनी रहनी चाहिए. यह आपके व्यक्तित्व का प्रभाव दूसरे लोगों पर छोड़ती है।
– कई लोगों की आदत होती है कि वह बाहर से आकर अपने जूते-चप्पल को इधर-उधर फेंक देते हैं. ऐसे लोगों को शत्रु बहुत परेशान करते हैं. कार्य में बाधा उत्पन्न होती हैं।
– घर में जूतों के लिए अलग स्थान रखें. कभी भी मंदिर अथवा रसोई में जूते चप्पल पहनकर न जाएं।
– रसोई में पहनने के लिए कपड़े के चप्पल का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
– वास्तु के अनुसार जूते-चप्पल निकालने के लिए शुभ स्थान दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम ,उत्तर-पश्चिम अथवा पश्चिम दिशा ठीक मानी गई है. इन दिशा में उचित स्थान पर शू रैक बनाकर जूतों को उसमें ढक कर रखें।