”₹2000 करोड़ का कक्षा निर्माण घोटाला: सिसोदिया-जैन पर फिर से कानून का शिकंजा”

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नई दिल्ली, 30 अप्रैल: दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति की धाक को गहरा आघात देते हुए भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मंत्रियों मनीष सिसोदिया एवं सत्येंद्र जैन के खिलाफ ₹2000 करोड़ के कथित कक्षा निर्माण घोटाले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। यह मामला दिल्ली में सरकारी स्कूलों में 12,748 कक्षाओं के निर्माण को लेकर सामने आया है, जिसे नियमों की अनदेखी और लागत में अत्यधिक वृद्धि के आरोपों से घिरा बताया गया है।
शिकायत और प्रारंभिक जांच:
यह प्रकरण तब उठा जब दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता हरीश खुराना, पूर्व विधायक कपिल मिश्रा और बीजेपी के मीडिया समन्वयक नीलकंठ बक्षी ने ACB को शिकायत सौंपी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि दिल्ली सरकार ने ₹2,892 करोड़ की लागत से कक्षा निर्माण का कार्य ऐसे ठेकेदारों को सौंपा जो कथित तौर पर आप पार्टी से जुड़े हुए हैं। शिकायत के अनुसार, जहां एक कक्षा का निर्माण सामान्यतः ₹5 लाख में संभव होता है, वहीं दिल्ली सरकार ने प्रति कक्षा ₹24.86 लाख खर्च किए। यानी हर कक्षा पर औसतन पांच गुना अधिक खर्च हुआ। यह लागत विसंगति घोटाले की ओर इशारा करती है।
वित्तीय अनियमितता और टेंडर प्रक्रिया में खामी:
ACB के संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुर वर्मा के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 की व्यय वित्त समिति (Expenditure Finance Committee) की बैठक में यह स्पष्ट किया गया था कि इस परियोजना को स्वीकृत राशि में, जून 2016 तक पूर्ण कर लिया जाएगा और किसी प्रकार की लागत वृद्धि नहीं होगी। लेकिन जाँच में सामने आया कि न केवल समय सीमा का उल्लंघन हुआ, बल्कि निर्माण लागत में 17% से 90% तक वृद्धि की गई। ₹860.63 करोड़ की मूल परियोजना में ₹326.25 करोड़ की अतिरिक्त लागत जोड़ी गई, जिसमें ₹205.45 करोड़ केवल “रिच स्पेसिफिकेशन” के नाम पर खर्च किए गए। इससे भी चिंताजनक बात यह रही कि इस लागत वृद्धि के लिए कोई नया टेंडर नहीं निकाला गया, जो केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के दिशा-निर्देशों का सीधा उल्लंघन है।
दबाई गई सीवीसी रिपोर्ट:
इस मामले में एक और गंभीर खुलासा हुआ कि केंद्रीय सतर्कता आयोग की मुख्य तकनीकी परीक्षक (CTE) की रिपोर्ट, जिसे 17 फरवरी 2020 को अनुमोदित किया गया था, उसे लगभग तीन वर्षों तक जानबूझ कर सार्वजनिक नहीं किया गया। रिपोर्ट में CPWD वर्क्स मैनुअल 2014, GFR 2017 और CVC दिशानिर्देशों के घोर उल्लंघन की पुष्टि की गई। रिपोर्ट के अनुसार, कई निर्णय टेंडर आवंटन के बाद लिए गए जो नियमानुसार नहीं थे और इससे सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। यह भी पाया गया कि पांच स्कूलों में ₹42.5 करोड़ का कार्य बिना उचित टेंडर प्रक्रिया के ही कर दिया गया।
कानूनी कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया:
अब ACB ने इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-A के तहत मामला दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है। इस जांच में केवल पूर्व मंत्री ही नहीं, बल्कि संबंधित सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका भी जांच के दायरे में लाई जाएगी। यह मामला दिल्ली की राजनीति में तूफान खड़ा कर सकता है, खासकर तब जब मनीष सिसोदिया पहले से ही शराब नीति घोटाले में जेल में हैं और सत्येंद्र जैन भी प्रवर्तन निदेशालय की जांच झेल चुके हैं।
निष्कर्ष: क्या शिक्षा की इमेज के पीछे था भ्रष्टाचार?
AAP ने दिल्ली में शिक्षा को अपनी पहचान और मॉडल गवर्नेंस का प्रतीक बनाया था। लेकिन यदि यह आरोप साबित होते हैं, तो यह न केवल पार्टी की साख को ध्वस्त करेगा, बल्कि उन लाखों लोगों का भरोसा भी टूटेगा, जिन्होंने “ईमानदार राजनीति” का सपना देखा था। हालांकि, इन आरोपों का राजनीतिक समय और शिकायतकर्ताओं की पृष्ठभूमि इसे एक चुनावी रणनीति भी बना सकते हैं। अब न्यायिक जांच से ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि यह वास्तव में भ्रष्टाचार का मामला है या राजनीति की बिसात पर रची गई चाल।

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