राष्ट्रपति के प्रेस सचिव ने इंडिया टुडे को लिखा पत्र, कहा- पत्रकारिता की नीति को अपमानित कर रहे है राजदीप सरदेसाई

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 जनवरी।

सच्ची पत्रकारिता का दावा करने वाले इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई पत्रकारिता के सिद्धांतों भटके हुए नज़र आ रहे है। पत्रकारिता में अनुभवी होने के कारण उन्हें पत्रकारिता का इतना तो ज्ञान होना चाहिए कि अगर कोई खबर दिखाई जा रही है तो कम से कम खबर की सच्चाई पहले जान लेनी चाहिए। इतना ही नहीं अक्सर ऐसा होता है कि वे सोशल मीडिया पर खबर की गहराई तक बिना गए ही शेयर करते है और फिर डिलीट भी करते है।

26 जनवरी को दिल्ली में हुए किसान प्रदर्शन के दौरान राजदीप सरदेसाई ने कई ट्वीट किए और बाद में डिलीट कर लिया। ट्वीट में जो बात लिखी है राजदीप ने उसे टीवी पर भी बोला था। इसके लिए उन्हें दो हफ्ते के लिए ऑफ एयर कर दिया गया है।
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये से नाराज राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह ने मीडिया चैनल ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी को एक पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र में राजदीप सरदेसाई का नाम लेकर कहा है कि संस्थान से जुड़े कुछ पत्रकार गलत फैक्ट्स सामने रखते हैं। झूठा साबित होने पर बिना माफी मॉंगे उसे डिलीट भी कर देते हैं और ऐसा बार-बार किया जाता है।

राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह की ओर से राष्ट्रपति भवन में लिखे गए पत्र में कहा गया कि इंडिया टुडे समूह से जुड़े कुछ पत्रकारों द्वारा विवाद में राष्ट्रपति भवन को घसीटने के पीछे की मंशा स्पष्ट नहीं है।

प्रेस सचिव ने पत्र में लिखा है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर उनका पोट्रेट का अनावरण किया था। जिसके बाद सरदेसाई समेत कई पत्रकारों ने दावा किया कि वह सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर नहीं है। उनके अनुसार ये पोट्रेट प्रसनजीत चटर्जी की है, जिन्होंने बोस पर बनी फिल्म में उनका किरदार अदा किया था।

इसके आगे उन्होंने लिखा है कि खेद की बात यह है कि आपके ग्रुप के पत्रकार तथ्यों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की जहमत नहीं उठाते हैं। जैसे कि इस खबर के लिए वह नेताजी के परिवार के सदस्यों या फिर खुद एक्टर से पुष्टि कर सकते थे, जिन्होंने भी ट्विटर पर यही बात लिखी थी। उन्होंने फैक्ट चेक करने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की और राजनीतिक लाभ लेने के लिए राष्ट्रपति के खिलाफ बेतुके आरोप लगाने लगे।
उन्होंने ऐसा करके न सिर्फ अपनी पत्रकारिता की नीति को अपमानित किया है, बल्कि राष्ट्रपति भवन की गरिमा को भी धूमिल किया है। इस तरह की भूल माफ करने के लायक नहीं है, क्योंकि चीजें पहले से ही स्पष्ट है। ये पत्रकार बाद में अपना ट्वीट डिलीट कर देते हैं, बिना अपना ब्लंडर स्वीकार किए, बिना माफी माँगे। पत्रकारों ने केवल अपना ट्वीट डिलीट किया है, माफी नहीं माँगी है।

बता दें कि नेताजी वाले मामले में राजदीप सरदेसाई ने फेक न्यूज फैलाने के बाद ट्वीट डिलीट कर दिया था और माफी माँगने की जगह राष्ट्रपति भवन पर ही आरोप लगाया था। उन्होंने ट्वीट किया था कि सरकार इस बात पर ‘जोर’ देती है कि नेताजी का यह मूलचित्र है, न कि फिल्म से लिया गया है। इससे समझ में आता है कि वह अभी भी मानते हैं कि चित्र प्रसनजीत का था, नेताजी का नहीं।

बता दें कि 26 जनवरी को हुए हिंसा के दौरान अपने शो में किसान की मौत की गलत खबर चलाने के मामलें में वरिष्ठ पत्रकार और इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई के खिलाफ चैनल ने दो सप्ताह के लिए ऑफ एयर करने का फैसला कर दिया है। इतना ही नहीं जानकारी के मुताबिक उनकी एक महीने की सैलरी भी काट ली है।

 

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