समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,28 अप्रैल। पहलगाम में हुए ताज़ा आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान रिश्तों को झकझोर कर रख दिया है। आतंकी साजिश का पर्दाफाश होते ही केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को लेकर सख्त रुख अपना लिया है। अब खबर है कि भारत ने पाकिस्तान को दवाइयों की आपूर्ति भी सीमित करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। पहले से पानी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह झटका दोहरी मुसीबत बनकर आया है!
सूत्रों के अनुसार, भारत पहले ही सिंधु जल समझौते को लेकर पुनर्विचार की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। अब दवाइयों और जीवनरक्षक चिकित्सा उपकरणों के निर्यात पर भी नियंत्रण लगाने की चर्चा तेज हो गई है। अगर यह फैसला लागू होता है, तो पाकिस्तान में स्वास्थ्य संकट गहराना तय है।
जानकारी के मुताबिक, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी समर्थन और आतंकी नेटवर्क की भूमिका के पुख्ता सबूत भारतीय एजेंसियों के हाथ लगे हैं। इसी के बाद उच्चस्तरीय बैठकों में पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने की रणनीति पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। सरकार का साफ संदेश है — आतंक का समर्थन करोगे तो पानी भी नहीं मिलेगा और अब दवाई भी नहीं!
भारतीय कदमों की भनक लगते ही पाकिस्तान के उच्च स्तर पर खलबली मच गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वहां के अधिकारी आपात बैठकें कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ‘मानवीय संकट’ का राग अलापने की तैयारी में हैं। लेकिन भारत का रुख सख्त है — जब तक सीमा पार से आतंक बंद नहीं होता, कोई राहत नहीं मिलेगी।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही चरमराई हुई है। विदेशी कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान के लिए जीवनरक्षक दवाइयों की किल्लत एक गंभीर मानवीय संकट को जन्म दे सकती है। अस्पतालों में जरूरी दवाइयों का स्टॉक तेजी से घट रहा है और अगर भारत से आपूर्ति बंद हुई तो हालात और भी भयावह हो जाएंगे।
पहलगाम के दर्दनाक हमले के बाद भारत ने यह ठान लिया है कि आतंक का सीधा या परोक्ष समर्थन करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा। चाहे कूटनीतिक मोर्चा हो या आर्थिक — हर स्तर पर जवाब देने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
भारत ने एक बार फिर दिखा दिया है कि अब शब्दों से नहीं, कार्यवाही से जवाब दिया जाएगा। पहलगाम के शहीदों का बदला हर मोर्चे पर लिया जाएगा — यही है नया भारत का संकल्प!