समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 अप्रैल। भारत के न्यायपालिका जगत में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को एक आधिकारिक सिफारिश भेजी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई को देश का अगला मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त करने की अनुशंसा की गई है।
अगर केंद्र सरकार इस सिफारिश को स्वीकार करती है — जैसा परंपरा के तहत होता आया है — तो जस्टिस गवई भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।
जस्टिस बी.आर. गवई की नियुक्ति इसलिए भी ऐतिहासिक मानी जा रही है क्योंकि वे इस सर्वोच्च पद तक पहुंचने वाले पहले दलित समुदाय से आने वाले मुख्य न्यायाधीश होंगे। यह भारत की न्यायिक प्रणाली में समावेशिता और सामाजिक प्रतिनिधित्व की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जस्टिस गवई का न्यायिक करियर काफ़ी लंबा और प्रतिष्ठित रहा है। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट से न्यायिक सेवा की शुरुआत की और मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संविधान, आपराधिक, और नागरिक मामलों में कई अहम फैसलों में भूमिका निभाई। उनके निर्णय संतुलन और संविधान की व्याख्या की गहराई के लिए जाने जाते हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में वरिष्ठता प्रमुख आधार होती है। परंपरा के अनुसार, वर्तमान CJI अपने उत्तराधिकारी के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश का नाम केंद्र सरकार को प्रस्तावित करता है।
CJI संजीव खन्ना ने इसी परंपरा का पालन करते हुए जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश की है। अब यह केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद औपचारिक नियुक्ति की जाएगी।
जस्टिस गवई का कार्यकाल बतौर CJI अपेक्षाकृत छोटा होगा, लेकिन बेहद अहम। वे आगामी महीनों में न्यायपालिका से जुड़े कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों की निगरानी करेंगे।
इसके अलावा न्यायपालिका में पारदर्शिता, लंबित मामलों की तेजी से सुनवाई, और तकनीकी सुधार जैसी बड़ी चुनौतियाँ भी उनके सामने होंगी।
जस्टिस बी.आर. गवई की मुख्य न्यायाधीश के रूप में संभावित नियुक्ति न केवल न्यायिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र में सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व की भावना को और मजबूत करता है। देश अब उनकी न्यायिक दृष्टि और नेतृत्व की दिशा में आशा से देख रहा है।