समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 अप्रैल। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राजनीति में हाल ही में एक बार फिर हलचल देखने को मिली है। पार्टी सुप्रीमो मायावती द्वारा आकाश आनंद को पार्टी में बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपने के बाद अचानक उस फैसले को ठंडे बस्ते में डाल देना राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े कर रहा है। अब ये चर्चा तेज़ हो गई है कि क्या मायावती को आकाश आनंद पर पहले जैसा भरोसा नहीं रहा?
आकाश आनंद, जो मायावती के भतीजे हैं, पिछले कुछ वर्षों में बसपा के प्रमुख युवा चेहरे के रूप में उभरे। उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया था और 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए मायावती ने उन्हें आगे कर नेतृत्व की बागडोर सौंपने के संकेत भी दिए थे। इससे यह संदेश गया कि बसपा भविष्य में नेतृत्व के बदलाव की ओर बढ़ रही है और पार्टी युवा सोच को अपनाने के लिए तैयार है।
लेकिन हाल ही में, मायावती द्वारा आकाश आनंद की सक्रिय भूमिका को सीमित करना या उससे पीछे हट जाना, यह संकेत देता है कि सब कुछ ठीक नहीं है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आकाश की कार्यशैली या सार्वजनिक बयानों से पार्टी की पारंपरिक छवि को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं, कुछ अन्य का मानना है कि मायावती अब भी पार्टी पर पूरी तरह नियंत्रण बनाए रखना चाहती हैं और नेतृत्व को पूरी तरह सौंपने के लिए तैयार नहीं हैं।यह कहना जल्दबाज़ी हो सकती है कि मायावती को आकाश पर विश्वास नहीं है, लेकिन यह ज़रूर लगता है कि वह पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। नेतृत्व परिवर्तन किसी भी राजनीतिक दल के लिए संवेदनशील मुद्दा होता है, और मायावती जैसी नेतृत्वकर्ता, जो वर्षों से पार्टी को अपने एकछत्र नियंत्रण में रखती आई हैं, शायद किसी भी जल्दबाज़ी से बचना चाहती हैं।
इस घटनाक्रम ने बसपा कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। एक तरफ पार्टी को नए जोश और युवा नेतृत्व की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर बार-बार की गई घोषणाओं और फिर यू-टर्न से कार्यकर्ताओं में नेतृत्व को लेकर अस्पष्टता उत्पन्न हो रही है।
फिलहाल, मायावती का ध्यान 2024 और आगे के चुनावों पर केंद्रित है, और हो सकता है कि वह अब भी आकाश आनंद को तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। यह भी संभव है कि पार्टी के भीतर या बाहर की कुछ परिस्थितियों के कारण उन्होंने फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया को स्थगित किया हो।
निष्कर्षतः, यह कहना गलत नहीं होगा कि भरोसे की डोर में कहीं न कहीं थोड़ा तनाव जरूर है। आकाश आनंद को भविष्य में बसपा की कमान संभालनी है या नहीं, इसका फैसला समय करेगा – लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि मायावती कोई भी कदम बहुत सोच-समझ कर उठाना चाहती हैं।