प्रशांत किशोर को थप्पड़ मार पुलिस ने अनशन से उठाया, गिरफ्तार; BPSC प्रदर्शन खत्म, हंगामे की आशंका

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 जनवरी। बिहार में जनता के बीच अपनी अलग पहचान बनाने वाले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को बुधवार को एक गंभीर घटनाक्रम का सामना करना पड़ा। प्रशांत किशोर, जो बीते कुछ समय से बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा की जा रही कथित अनियमितताओं के खिलाफ अनशन पर बैठे थे, को पुलिस ने जबरन उठाया और गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान उनके साथ पुलिस ने मारपीट की, जिससे उनकी स्थिति काफी बिगड़ गई।

यह घटना तब घटी जब प्रशांत किशोर का अनशन कई दिनों से जारी था, और प्रदर्शनकारी उन्हें अपना समर्थन दे रहे थे। पुलिस ने उन्हें अनशन स्थल से हटाने की कोशिश की और इस दौरान उन्हें थप्पड़ मारा, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, जिससे उनके समर्थकों में उबाल आ गया।

BPSC प्रदर्शन और प्रशांत किशोर का अनशन

प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार से बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में हुई कथित धांधलियों और अनियमितताओं के खिलाफ अनशन शुरू किया था। उनका आरोप था कि बिहार में सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है, और इस मुद्दे पर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। उनके साथ सैकड़ों छात्र और युवाओं ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।

प्रशांत किशोर का यह अनशन बिहार के युवाओं की आवाज बन चुका था, जो परीक्षा के परिणामों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग कर रहे थे। उनका दावा था कि बीपीएससी में हुए चुनावी धांधलियों ने युवाओं का भविष्य संकट में डाल दिया है।

पुलिस द्वारा कार्रवाई

प्रशांत किशोर को अनशन स्थल से उठाने के लिए पुलिस ने जो कदम उठाया, वह विवादास्पद साबित हुआ। पुलिस ने न केवल उन्हें गिरफ्तार किया, बल्कि उस दौरान उनके साथ अभद्रता भी की। एक चश्मदीद ने बताया कि पुलिस ने उन्हें थप्पड़ मारा और बुरी तरह घसीटते हुए पुलिस वैन में डाला। पुलिस की यह कार्रवाई न केवल प्रशांत किशोर के समर्थकों के लिए बल्कि पूरे राज्य के लोगों के लिए चौंकाने वाली थी।

समर्थकों का विरोध और हंगामे की आशंका

प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों में गुस्सा फैल गया। प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कई इलाकों में तनाव की स्थिति बन गई, और हंगामे की आशंका व्यक्त की जा रही है। पुलिस ने सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है, और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल की जरूरत पड़ सकती है।

प्रशांत किशोर के समर्थकों ने उनके साथ मारपीट और गिरफ्तारी को राज्य सरकार की तानाशाही और छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश बताया। प्रदर्शनकारियों ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि यह सरकार के लोकतांत्रिक तरीके से संवाद की बजाय बल प्रयोग करने का तरीका है।

बीपीएससी प्रदर्शन खत्म

हालांकि प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी के बाद बीपीएससी प्रदर्शन को खत्म कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद युवाओं में गुस्सा और असंतोष बना हुआ है। यह प्रदर्शन राज्य सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है, और इससे अगले चुनावों में असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी और पुलिस द्वारा की गई मारपीट ने बिहार में एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। उनकी गिरफ्तारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में युवा वर्ग अपनी आवाज को अब और भी मजबूत तरीके से उठाएगा। हालांकि सरकार की ओर से यह कार्रवाई कानून व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर की गई थी, लेकिन यह सरकार के प्रति नाराजगी को और बढ़ा सकती है। अब देखना यह होगा कि इस पूरे घटनाक्रम का राजनीतिक असर क्या होगा और बीपीएससी के मुद्दे पर सरकार किस प्रकार की कार्रवाई करती है।

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