महाकुंभ में हठयोगियों का अनोखा तप: कोई 9 साल से हाथ उठाए, तो कोई 11 साल से जमीन पर नहीं बैठा

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,4 जनवरी।
हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन आध्यात्मिकता, भक्ति, और तपस्या का अद्भुत संगम लेकर आता है। इस बार कुंभ में आए हठयोगियों के अद्भुत और अनोखे तप ने श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया है। इन योगियों ने अपने शरीर और मन को कठिन साधनाओं से साधकर न केवल आत्म-साक्षात्कार की राह पकड़ी है, बल्कि दुनिया को अपने अद्वितीय तप का परिचय दिया है।

9 साल से एक हाथ उठाए साधु

महाकुंभ में एक साधु, जिन्हें लोग “उठा हुआ हाथ वाले बाबा” कहकर बुलाते हैं, ने पिछले 9 वर्षों से अपना एक हाथ उठाए रखा है। यह उनकी तपस्या का प्रतीक है, जिसे उन्होंने भगवान शिव की आराधना और जीवन के सांसारिक मोह से दूरी बनाने के लिए अपनाया है।

  • क्या है उनकी साधना का उद्देश्य?
    बाबा का कहना है कि यह साधना भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति का प्रतीक है। वह मानते हैं कि यह तप उन्हें अपने मन और शरीर पर नियंत्रण रखना सिखाता है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव
    लंबे समय तक हाथ उठाए रखने के कारण उनका हाथ अब स्थायी रूप से कठोर हो गया है। हालांकि, बाबा इसे तपस्या का हिस्सा मानते हैं और इससे किसी प्रकार की शिकायत नहीं करते।

11 साल से जमीन पर नहीं बैठे हठयोगी

एक अन्य योगी, जिन्हें “खड़े रहने वाले बाबा” के नाम से जाना जाता है, ने पिछले 11 सालों से जमीन पर बैठने का त्याग कर दिया है। वह दिन-रात खड़े रहते हैं और सोने के लिए भी रस्सी से बंधे झूले का इस्तेमाल करते हैं।

  • तप का कारण
    बाबा का कहना है कि यह तपस्या उनके अहंकार को मिटाने और जीवन में विनम्रता लाने का एक तरीका है।
  • शारीरिक चुनौतियां
    लंबे समय तक खड़े रहने के कारण उनके पैरों में सूजन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो गई हैं, लेकिन बाबा इसे ईश्वर की कृपा मानते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा

महाकुंभ में इन हठयोगियों के तप ने न केवल श्रद्धालुओं को आश्चर्यचकित किया है, बल्कि उन्हें आध्यात्मिकता और आत्मसंयम का महत्व भी सिखाया है। लोग इन योगियों के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए बड़ी संख्या में जुट रहे हैं।

क्या है हठयोग का महत्व?

हठयोग भारतीय संस्कृति और साधना का एक प्राचीन मार्ग है, जिसमें योगी अपने शरीर और मन को कठोर साधनाओं से अनुशासन में लाते हैं।

  • आत्म-साक्षात्कार का माध्यम: हठयोग का उद्देश्य शरीर और आत्मा को संतुलित करके ईश्वर के करीब पहुंचना है।
  • सांसारिक मोह से मुक्ति: इन कठिन तपस्याओं के जरिए योगी सांसारिक सुख-दुख से ऊपर उठने की कोशिश करते हैं।

निष्कर्ष

महाकुंभ में हठयोगियों के इस प्रकार के अद्वितीय तप ने एक बार फिर भारतीय योग और साधना की गहराई को प्रदर्शित किया है। उनका समर्पण, त्याग, और आत्म-अनुशासन आज के समय में हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह हमें यह भी सिखाता है कि सच्चे संतोष और शांति के लिए आत्मसंयम और साधना की क्या अहमियत है।

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