समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,9अगस्त। सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लुरलिज़्म एंड ह्यूमन राइट्स (सीडीपीएचआर) बांग्लादेश में बढ़ती राजनीतिक हिंसा और अशांति को लेकर चिंतित है और इसकी कड़ी निंदा करता है। शेख हसीना को हटाए जाने के बाद से राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आम लोगों और देश के धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही हैं। सड़कों पर हिंसा और अराजकता एक निंदनीय अपराध है। सेना और आनेवाली अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है कि वे एक तरफ आंदोलन के लोकतांत्रिक लोकाचार की रक्षा करें और दूसरी तरफ इस्लामी धार्मिक कट्टरपंथियों पर लगाम लगाएँ।
सोमवार को देश में कम से कम चार मंदिरों पर हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई, जबकि अवामी लीग के एक अल्पसंख्यक हिंदू नेता की मौत की भी खबर आई। बांग्लादेश के एक प्रमुख अल्पसंख्यक संगठन हिंदू-बौद्ध-ईसाई एकता परिषद के अनुसार, देश में अल्पसंख्यकों के लिए सामान्य स्थिति बहुत तनावपूर्ण है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, कौकाटा में राधा-गोविंद मंदिर पर हमला हुआ था। उन्होंने निम्नलिखित शहरों/जिलों में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यवसायों पर हमलों की भी सूचना दी: पंचगढ़, ठाकुरगांव, लोहागरा, नोआखली, झेनैदाह, हथुरिया, डुमर, तंगैल, शरीयतपुर, लालमोनिरहाट, मुंशीगंज, संभूगंज, चांदपुर, अराइहाजार, खुलना, दिनाजपुर, नरसिंगडी, लक्ष्मीपुर, किशोरगंज, जेस्सोर, सतखीर और हबीबगंज। जेस्सोर जिले में कम से कम 22 दुकानों को लूट लिया गया। इस प्रकार, पूरे देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति गंभीर है। यह केवल एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि देशव्यापी घटना है। इस समय देश में सामान्य अशांति और कर्फ्यू के कारण हिंसा की प्रकृति की पूरी सीमा अज्ञात है। हिंसक कट्टरपंथियों को देश को जलाने और आम लोगों के जीवन पर हमला करने से रोकना अभी सेना की जिम्मेदारी है।
सीडीपीएचआर अवसरवादी कट्टरपंथी ताकतों की निंदा करता है और संबंधित अधिकारियों से निर्णायक और समय पर कार्रवाई करने का अनुरोध करता है। सीडीपीएचआर संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय जैसी वैश्विक संस्थाओं से भी आने वाले कुछ हफ्तों में देश में हो रही घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखने का आह्वान करता है। अंततः, बांग्लादेशी नागरिक समाज और छात्र समूहों की राजनीतिक जिम्मेदारी है कि वे हिंसा की निंदा करें और बिना किसी पक्षपात या जोश के देश के हर सामाजिक समूह की सक्रिय रूप से रक्षा करें।