भारत सुषुप्त अवस्था से जागृत अवस्था में प्रवेश कर चुका है: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के 37वें दीक्षांत समारोह को किया संबोधित
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20फरवरी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सभी पहलुओं में भारत की विकास गाथा का उल्लेख करते हुए इस बात पर बल दिया कि अब राष्ट्र अपने संसाधनों से परिभाषित नहीं है; बल्कि अब देश अपनी असीमित क्षमता का अनुभव कर रहा है। भारत एक राष्ट्र के रूप में स्वयं को दृढ़ता से स्थापित कर चुका है। आज नई दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के 37वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने यह बात कही। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे एक ऐसे भारत में प्रवेश कर रहे हैं, जो अब सुषुप्त अवस्था से जागृत अवस्था में प्रवेश कर चुका है।
देश में सक्षम इकोसिस्टम को रेखांकित करते हुए उन्होंने छात्रों विकास की इस अविश्वसनीय गति का लाभ उठाने, पारदर्शिता का उपयोग करने और आर्थिक उन्नति के परिदृश्य से लाभान्वित होने तथा अवसरों को व्यक्तिगत उत्कृष्टता में परिवर्तित करने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि असाधारण आधारभूत अवसंरचना विकास, व्यापक प्रौद्योगिकी युग में प्रवेश, डिजिटलीकरण की तीव्र गति और पारदर्शी एवं जवाबदेह शासन के प्रति प्रतिबद्धता अब केवल प्रचलित शब्द नहीं बल्कि वास्तविकता बन चुके हैा। उपराष्ट्रपति ने भारत की “आर्थिक जीवन शक्ति” की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि समावेशी डिजिटल भुगतान प्रणाली द्वारा संचालित हमारा लचीला वित्तीय इकोसिस्टम एक वैश्विक मॉडल बन गया है; हम न केवल इसका उपयोग कर रहे हैं, बल्कि हम इसका निर्यात भी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन भारतीय नेतृत्व का प्रमाण बन गया है। उपराष्ट्रपति ने बताया कि कैसे समावेशिता और भागीदारी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता अब विश्व स्तर पर गूंज रही है। श्री धनखड़ ने कहा कि देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी से लेकर अफ्रीकी संघ को जी20 सदस्य के रूप में शामिल करने और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू करने तक, भारत, ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर उभरा है।
छात्रों को यह याद दिलाते हुए कि वे परिवर्तकारी प्रौद्योगिकी में नए रुझानों से प्रेरित दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं, उपराष्ट्रपति ने छात्रों का आह्वान किया “भारत@2047 के सच्चे सैनिक” बनने के लिए ऐसी प्रौद्योगिकियों को अपनाए। उन्होंने कहा कि भारत की गतिशील स्टार्टअप संस्कृति ने विश्व का ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने कहा कि कुछ महान नवाचार और सफलताएं ऐसे व्यक्तियों की खोज है, जिन्होंने लीक से हटकर सोचने का साहस किया है, जिन्होंने निडर होकर यथास्थिति को चुनौती दी है।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि वे सफलता को संकीर्ण परिभाषा से परे विस्तृत फलक पर देखें। उन्होंने कहा कि छात्रों के समक्ष मौजूद संभावनाओं के विशाल परिदृश्य का पता लगाने और मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रतिस्पर्धा के स्थान पर सहयोग एवं समन्वय को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि अपने व्यक्तित्व को अंगीकार करें, अपने जुनून को आगे बढ़ाएं और अपनी शर्तों पर सफलता को फिर से परिभाषित करें।
इस अवसर पर इग्नू के कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव, प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर उमा कांजीलाल तथा प्रोफेसर सत्यकाम और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
All of you are graduating into an India that is on the rise!
India, that has shaken off the label of the “sleeping giant”.
India’s rise is continual, incremental and unstoppable!
We are no longer the nation defined by its potential. We are a nation realizing its potential!… pic.twitter.com/UapqFBM0Bb
— Vice President of India (@VPIndia) February 20, 2024