कालजई कवि दुष्यंत कुमार त्यागी की पुण्यतिथि पर शत शत नमन

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आज कालजई कवि दुष्यंत कुमार त्यागी की पुण्यतिथि है श्रद्धांजलि, नमन। अकविता अबर्सड absurd कविता के अतुकांत दौर में उन्होंने गजल और छंदों के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति दी। आज भी आम जन की आवाज बने हुए हैं।
आपातकाल के समय उनका कविमन क्षुब्ध और आक्रोशित हो उठा जिसकी अभिव्यक्ति कुछ कालजयी ग़ज़लों के रूप में हुई, जो उनके ग़ज़ल संग्रह ‘साये में धूप’ का हिस्सा बनीं। सरकारी सेवा में रहते हुए सरकार विरोधी काव्य रचना के कारण उन्हें सरकार का कोपभाजन भी बनना पड़ा। आपातकाल के दौरान ही 30 दिसंबर 1975 की रात्रि में हृदयाघात से उनकी असमय मृत्यु हो गई। उन्हें मात्र 44 वर्ष की अल्पायु मिली।
1975 में उनका प्रसिद्ध ग़ज़ल संग्रह’साये में धूप’ प्रकाशित हुआ। इसकी ग़ज़लों को इतनी लोकप्रियता हासिल हुई कि उसके कई शेर कहावतों और मुहावरों के तौर पर लोगों द्वारा व्यवहृत होते हैं। 52 ग़ज़लों की इस लघुपुस्तिका को युवामन की गीता कहा जाय, तो अत्युक्ति नहीं होगी।
एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है / दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार » साये में धूप »
एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है
आज शायर यह तमाशा देखकर हैरान है
ख़ास सड़कें बंद हैं

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