अनु-गीता पर आधारित शिक्षकों के आध्यात्मिक प्रशिक्षण द्वारा विदेशी संस्थाओं से प्रतिस्पर्धा की चुनौती को स्वीकार करें : प्रो. एम.एम. गोयल
समग्र समाचार सेवा
मुजफ्फरनगर, 9 अक्टूबर। “ अनु-गीता पर आधारित शिक्षकों के आध्यात्मिक प्रशिक्षण द्वारा विदेशी संस्थाओं से प्रतिस्पर्धा की चुनौती को स्वीकार करेंI “ ये शब्द प्रो. मदन मोहन गोयल, पूर्व कुलपति एवं प्रवर्तक नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट जो अर्थशास्त्र विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए ने कहे। वह आज जे.के.पी. (पीजी) कॉलेज मुजफ्फरनगर द्वारा आयोजित संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) के प्रतिभागियों को ऑनलाइन ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षक की भूमिका ’ विषय पर संबोधित कर रहे थे। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सीमा जैन ने स्वागत सम्बोधन और प्रो. एम. एम. गोयल की उपलब्धियों का प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।
प्रो. गोयल का मानना है कि भारत की ज्ञान अर्थव्यवस्था में जहां ‘सरस्वती’ को ‘लक्ष्मी’ के समान ही पूजा जाता है, वहां शिक्षकों की बिरादरी को सरस्वती की संतान के रूप में जाना जाना चाहिए।
शिक्षक परिवार से प्रो. गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि युवाओं के सशक्तिकरण और ज्ञानोदय हेतु शिक्षण आशावाद, आशा और उत्साह का सबसे बड़ा कार्य है, ।
प्रो. गोयल ने कहा कि हमें शिक्षण पेशे में अस्तित्व और उत्कृष्टता के लिए अपनी ताकत, कमजोरियों, अवसरों और चुनौतियों को समझना होगा
प्रो. गोयल का मानना है कि अत्याधिक जनसंख्या के साथ लापरवाह को सावधान और बेकार से उपयोगी भारतीय युवाओं में रूपांतरण राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में सबसे बड़ी चुनौती है ।
प्रो. गोयल ने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने हेतु हमें शिक्षकों की कमी को कम करने के लिए वरिष्ठ छात्रों में से छाया शिक्षकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ।
प्रो. गोयल का मानना है कि शिक्षकों को छात्रों की समस्याओं के आउट-ऑफ़-द-बॉक्स समाधान सोचने और सीमाओं को पार करने और चुनौतियों का सामना करने के लिए शिक्षित करना चाहिए।
प्रो. गोयल ने कहा कि सभी प्रकार के अपराधों को नहीं कहने के लिए आध्यात्मिक उत्साह की आवश्यकता है क्योंकि शिक्षा में बिगड़ते मानक आध्यात्मिक दिवालियापन और व्यावसायीकरण के कारण होते है ।
प्रो. गोयल का मानना है कि शिक्षा को प्रासंगिक बनाने हेतु हमें स्ट्रीट स्मार्ट शिक्षकों की आवश्यकता है जिनको सरल, नैतिक, कार्रवाई उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी होना चाहिए।